Shani Pradosh Vrat 2025: शनि प्रदोष व्रत आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और सरल विधि

प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना गया है जो कि महादेव की साधना आराधना को समर्पित है इस दिन भक्त भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा करते हैं और दिनभर उपवास भी रखते हैं।

Nivedita Kasaudhan
Pradosh Vrat
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Shani Pradosh Vrat 2025: सनातन धर्म में व्रत त्योहारों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व भी होता है। लेकिन प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना गया है जो कि महादेव की साधना आराधना को समर्पित है इस दिन भक्त भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा करते हैं और दिनभर उपवास भी रखते हैं।

मान्यता है कि ऐसा करने से प्रभु की असीम कृपा बरसती है। इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ भी देखने को मिलती है। माना जाता है कि इस दिन पूजा पाठ करने से रोग, शत्रु, दरिद्रता और जीवन के कष्टों का निवारण होता है, तो हम आपको अपने इस लेख द्वारा प्रदोष व्रत की तारीख और इससे जुड़ी अन्य जानकारी प्रदान कर रहे हैं।

Shani Pradosh Vrat 2025
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कब है शनि प्रदोष व्रत?

हिंदू पंचांग के अनुसार मई महीने का आखिरी प्रदोष व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जा रहा है। यह तिथि 24 मई को शाम 7 बजकर 20 मिनट से आरंभ हो चुकी है जो कि 25 मई को दोपहर 3 बजकर 51 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

वहीं उदया तिथि के अनुसार प्रदोष व्रत 24 मई दिन शनिवार यानी आज रखा जा रहा है। शनिवार के दिन प्रदोष पड़ने के कारण ही इसे शनि प्रदोष के नाम से जाना जा रहा है। इस दिन शिव के साथ साथ शनिदेव की पूजा करना भी लाभकारी होता है।

पूजा की सरल विधि

आपको बता दें कि शनि प्रदोष के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण करके घर के पूजा स्थल की अच्छी तरह साफ सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं।

इस पर शिव, माता पार्वती और शनिदेव की प्रतिमा स्थापित करें। शिवलिंग हो तो उसे भी स्थापित करें। फिर हाथ में जल, अक्षत और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प करें। अब अपनी मनोकामना भगवान से कहें। इसके बाद शिव, पार्वती और शनिदेव का आवाहन करें।

भगवान शिव और शनि देव की आरती

इसके बाद बेलपत्र, आक के पुष्प, धतूरा,भांग, चंदन, अक्षत अर्पित करें। काले तिल और सरसों का तेल भी चढ़ाएं। इसके बाद भगवान को नैवेद्य अर्पित करें। धूप और दीपक जलाएं कर भगवान शिव के मंत्र का जाप करें। इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें। इसके बाद भगवान शिव और शनि देव की आरती करें। अगर शिवलिंग है तो उसकी परिक्रमा करें। अंत में पूजा में होने वाली भूल चूक के लिए भगवान से क्षमा जरूर मांगे।

Shani Pradosh Vrat 2025
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है।प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।

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