Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ (Mahakumbh) मेला सनातन धर्म की प्राचीनतम परंपराओं का प्रतीक है और इस बार महाकुंभ 2025 में सबसे अधिक आयु के बाबा शिवानंद भी पहुंचे हैं। बाबा शिवानंद का जीवन योग, साधना और सेवा का आदर्श प्रस्तुत करता है। वर्तमान में उनकी आयु 129 वर्ष है और इसके बावजूद वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं। इस उम्र में भी बाबा शिवानंद की उपस्थिति से मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुट रही है। राष्ट्रपति द्वारा उन्हें योग के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान भी मिल चुका है, जो उनकी जीवन यात्रा और योग के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
बाबा शिवानंद का जीवन

बाबा शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को बांग्लादेश के जिला श्री हटा महकमा हरीगंज में हुआ था। वे एक ब्राह्मण भिक्षुक परिवार में जन्मे थे, जहां उनका जीवन आर्थिक कठिनाइयों से जूझता रहा। उनके माता-पिता भिक्षा मांगकर जीवन यापन करते थे, और कई बार परिवार को भूखा भी सोना पड़ता था। बाबा के बचपन का समय अनेक परेशानियों और संघर्षों में बीता। फिर भी, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से अपनाया।
आध्यात्मिक मार्ग और गुरु की भूमिका
बाबा शिवानंद के जीवन की दिशा एक वैष्णव संत के साथ शुरू हुई, जो उनके गुरु बने। उनके माता-पिता ने उन्हें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए एक नवदीप निवासी संत के पास भेजा था। गुरु के संरक्षण में बाबा ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की। इस दौरान उन्होंने कठिनाइयों का सामना करते हुए अपनी आस्था और समर्पण को मजबूत किया। गुरु के देहांत के बाद बाबा ने अपनी सेवाओं को समाज के प्रति अर्पित किया और जीवन को एक उद्देश्यपूर्ण साधना के रूप में जीने की प्रेरणा दी।
बाबा की दिनचर्या और सेवा का मार्ग

बाबा शिवानंद की दिनचर्या भी बहुत प्रेरणादायक है। वे रोज सुबह तीन बजे उठते हैं और दिनभर अपनी साधना, ध्यान, जप, और समाज सेवा में लगे रहते हैं। बाबा का विश्वास है कि प्राणियों की निस्वार्थ सेवा ही भगवान की सेवा है। वे तली हुई चीजें नहीं खाते और केवल उबली हुई सब्जियों और थोड़ी मिठाई के साथ अपना आहार लेते हैं। उनका प्रिय कार्य दीन-दुखियों की मदद करना और उन्हें आशीर्वाद देना है। रात को वे 9 बजे विश्राम करते हैं।
बाबा शिवानंद का योगदान और जीवन का उद्देश्य
बाबा शिवानंद का जीवन उनके कर्मों, निष्ठा और योग के प्रति समर्पण का प्रतीक है। 100 साल से भी अधिक की आयु में वे आज भी समाज की सेवा में सक्रिय हैं। उनका जीवन यह सिद्ध करता है कि आयु केवल एक संख्या है, और सच्ची शक्ति और ऊर्जा हमारे विचारों और कर्मों से आती है। महाकुंभ मेला 2025 में उनकी उपस्थिति न केवल योग और आध्यात्मिकता का संदेश देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सेवा और साधना से जीवन को कैसे उच्चतम उद्देश्य की ओर बढ़ाया जा सकता है।
बाबा शिवानंद का योग से जुड़ा प्रेरणादायक संदेश

बाबा शिवानंद का संदेश स्पष्ट है – योग और सेवा से ही हम जीवन में संतुलन और शांति प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने अपने जीवन में हमेशा दूसरों की भलाई को प्राथमिकता दी और अपनी साधना के माध्यम से समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की। उनके जीवन की शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।

