18th Lok Sabha:पिछले वर्ष 4 जून को लोकसभा चुनाव का परिणाम सामने आया था।जिसमें देश की जनता ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार को देश की बागडोर सौंपी थी।उसके बाद पिछले साल 26 जून को ओम बिरला ने 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष का पद ग्रहण किया था।पिछले एक साल मंक लोकसभा ने विभिन्न आयामों में नया अध्याय लिखा है फिर चाहे,वो रिकॉर्ड प्रोडक्टिविटी की बात हो या जनहित से जुड़े विधेयक पारित कराने की।
18वीं लोकसभा का पूरा हुआ एक वर्ष
देश में पिछले साल हुए आम चुनाव के बाद 18वीं लोकसभा को एक वर्ष पूरा हो चुका है। इस एक साल में हमें भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का एक नया अध्याय देखने को मिला है।देश की 18वीं लोकसभा में कुल कुल 372 घंटे 36 मिनट की कार्यवाही देखने को मिली है,जिसमें 103 फीसदी से ज्यादा की रिकॉर्ड प्रोडक्टिविटी दर्ज की गई।बीते 3 अप्रैल को एक ही दिन में शून्यकाल के दौरान 204 मुद्दे उठाए गए,जो लोकसभा के इतिहास का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
जनहित से जुड़े कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित
18वीं लोकसभा में सिर्फ चौथे सत्र तक ही जन हित से जुड़े 24 विधेयक पारित हो चुके हैं।जैसे सामाजिक न्याय को सशक्त करने वाला वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024,आपदा के समय त्वरित और सटीक कार्रवाई हेतु आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2024, उड्डयन क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधारों के लिए भारतीय वायुयान विधेयक 2024, राष्ट्रीय सुरक्षा को नई मजबूती प्रदान करने हेतु इमिग्रेशन और फॉरेनर्स बिल 2025 आदि।
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अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी रखी आवाज
18वीं लोकसभा के दौरान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की मजबूत आवाज बन रही है।इस दौरान भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने अनेक वैश्विक मंचों पर अपनी आवाज रखी। 11 और 12 जुलाई 2024 को रूस, सेंट पीटर्सबर्ग में 10वां ब्रिक्स ब्रिक्स संसदीय फोरम (BRICS Parliamentary Forum) में,13 से 17 अक्टूबर 2024 को जेनेवा,स्विट्जरलैंड में 149वीं अंतर-संसदीय संघ (IPU Assembly) में 6 से 9 जनवरी 2025 तक यूनाइटेड किंगडम में विभिन्न द्विपक्षीय वार्ताएं हुईं,साथ ही 10 जनवरी 2025 को ग्वेर्नसे में CSPOC स्टैंडिंग कमेटी मीटिंग हुई।
ब्रिक्स संसदीय फोरम में भारत ने अपनी बात रखी
5 से 9 अप्रैल 2025 तक ताशकंद,उज्बेकिस्तान में 150वीं अंतर-संसदीय संघ (IPU Assembly) हुई, 3 से 5 जून 2025 तक ब्रासीलिया, ब्राजील में 11वां ब्रिक्स संसदीय फोरम में भारत ने अपनी बात रखी।इन मंचों पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने विश्व को लोकतंत्र, वैश्विक सहयोग और शांति का मंत्र दिया।वहीं भारतीय संसद,वैश्विक लोकतांत्रिक विचारों का भी केंद्र बनी जब 9 देशों से संसद सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंचे।इनमें जापान,मॉरीशस,यूएई,रूस के प्रतिनिधिमण्डल शामिल रहे।
डिजिटलीकरण की दिशा में उठाए कई कदम
पिछले एक वर्ष में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर लोक सभा ने डिजिटलीकरण की दिशा में कई कदम उठाए हैं।डिजिटल संसद प्रोजेक्ट 2.0 इस परिवर्तन का सबसे बड़ा उदाहरण है।पारदर्शिता व जवाबदेही के साथ संसद को एक ‘स्मार्ट संस्थान’ बनाने के उद्देश्य से संसद के संसाधनों के डिजिटलीकरण पर विशेष जोर दिया जा रहा है।सितंबर 2024 से फरवरी 2025 तक,लगभग 8,000 घंटे की ऐतिहासिक ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग को नए डिजिटल स्वरूप में बदला जा रहा है।
नई तकनीक ने दैनिक कार्यों को भी बनाया सरल
संसद की पुरानी कार्यवाहियों और दस्तावेजों को आम नागरिकों के लिए सुलभ बनाया जा रहा है।इसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए एआई-आधारित सर्च प्रणाली की शुरुआत हुई है।संसद की कार्यशैली को आधुनिक बनाने के लिए सांसदों की डिजिटल उपस्थिति प्रणाली भी शुरू की गई है।18वीं लोकसभा के तीसरे सत्र से सांसद अब इलेक्ट्रॉनिक टैब से अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं,इससे पेपरलेस कार्यप्रणाली को बल मिला है और रियल-टाइम डैशबोर्ड से उपस्थिति डेटा का तत्काल विश्लेषण हुआ संभव है।नई तकनीक ने सांसदों के दैनिक कार्यों को भी सरल बनाया है।
भारत की संसद बनी ‘लोकतांत्रिक आदर्श संस्था’
पहले जहाँ नव-निर्वाचित सांसदों को 19 अलग-अलग फॉर्म भरने होते थे,अब उनके लिए एकीकृत मेंबर ऑनबोर्डिंग एप्लिकेशन विकसित किया गया है। इस प्रक्रिया से न केवल समय की बचत हुई है,बल्कि त्रुटियां भी कम हुई हैं।वहीं तकनीक से भाषा की बाधा को दूर करते हुए लोकतंत्र को और समावेशी बनाया जा रहा है।भारत की संसद अब सिर्फ एक ऐतिहासिक संस्था नहीं रही बल्कि अब यह एक डिजिटल और भविष्य के लिए तैयार लोकतांत्रिक आदर्श संस्था बन रही है।