PM Modi Gaya Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मां हीराबेन की मृत्यु के तीन साल बाद बिहार के गया में पिंडदान करेंगे। यह कार्यक्रम उनके जन्मदिन 17 सितंबर को तय माना जा रहा है। हालांकि सरकार की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन बीजेपी सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी उस दिन गया में मेगा रोड शो के साथ-साथ एक जनसभा भी कर सकते हैं। इसके बाद वे गया के फल्गु नदी तट पर अपनी मां और पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करेंगे।
मोदी की मां हीराबेन का निधन दिसंबर 2022 में हुआ था। इसके बाद 2023 में प्रधानमंत्री के भाई पंकज मोदी ने वाराणसी में पिंडदान किया था। उस समय नरेंद्र मोदी कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार में व्यस्त थे। तब विपक्ष ने यह सवाल उठाया था कि मोदी ने मां की अंत्येष्टि में मस्तकमुंडन क्यों नहीं किया? अब जब मोदी खुद पिंडदान करने वाले हैं, तो फिर विपक्ष इसे भी राजनीति से जोड़ रहा है।
पितृपक्ष का समय और गया का महत्व
हिंदू धर्म में इस समय पितृपक्ष चल रहा है। मान्यता है कि इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। गया को “पितृतीर्थ” कहा जाता है क्योंकि मान्यता है कि स्वयं भगवान विष्णु यहां पितृरूप में विराजमान हैं। कहा जाता है कि गया में पिंडदान करने से सात पीढ़ियों के पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है। यही कारण है कि मोदी गया में अपनी मां और पितरों के लिए पिंडदान करने का निर्णय ले रहे हैं।
सियासी समय पर संदेह
गया यात्रा और पिंडदान का समय बिहार विधानसभा चुनावों से पहले तय होना विपक्ष को खटक रहा है। कांग्रेस और आरजेडी ने मोदी की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या प्रधानमंत्री अपनी मां की पुण्य स्मृति को भी राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं?
आरजेडी ने सवाल किया कि अगर पिंडदान करना ही था, तो अब तक क्यों टाला गया? क्या यह फैसला सिर्फ इसलिए लिया गया क्योंकि हाल ही में बिहार में एक मंच से प्रधानमंत्री की मां के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी? विपक्ष का कहना है कि यह कदम सहानुभूति और भावनात्मक वोट बटोरने की एक कोशिश हो सकती है।
बीजेपी का बचाव
वहीं, बीजेपी नेताओं का कहना है कि पिंडदान एक व्यक्तिगत और धार्मिक कर्तव्य है, जिसे राजनीति से जोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद मां के प्रति श्रद्धा भाव से यह निर्णय ले रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गया में पिंडदान करना एक धार्मिक आस्था से जुड़ा कदम है, लेकिन इसका समय और स्थान इसे राजनीतिक बहस का विषय बना रहा है। जहां एक ओर यह व्यक्तिगत श्रद्धा का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर बिहार चुनावों के मद्देनजर इसकी टाइमिंग पर विपक्ष सियासी रंग देख रहा है।
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