Pakistan: पाकिस्तान की एक अदालत ने 40 वर्षीय मुस्लिम महिला आसिया बीबी को इस्लाम धर्म की पवित्र पुस्तक कुरान के पन्ने जलाने के दोषी पाए जाने पर उम्रकैद की सजा सुनाई है.आसिया बीबी के खिलाफ पुलिस ने 2021 में केस दर्ज कर गिरफ्तार किया था जो लाहौर के बेदियान रोड इलाके की रहने वाली है।न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक,आसिया के खिलाफ उन्हीं के इलाके में रहने वाले एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज करवाई थी और आरोप लगाया था कि,आसिया ने अपने घर के बाहर इस्लाम धर्म के धार्मिक ग्रंथ कुरान के पन्नों को जलाया था,इस मामले में कोर्ट ने 21 मार्च को सुनवाई के बाद आसिया को दोषी करार दिया।
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ईशनिंदा कानून के तहत मौत की सजा देने का प्रावधान

आपको बता दें कि,पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के तहत धर्म या धार्मिक शख्सियतों का अपमान करने का दोषी पाए जाने वाले को मौत की सजा तक दी जा सकती है.मामले में सरकारी अभियोजक ने बताया कि,आसिया बीबी को 2021 में ईशनिंदा के आरोप में उसे गिरफ्तार किया गया था.जबकि आसिया बीबी के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि,आसिया ने कोई ईशनिंदा नहीं की है पड़ोसी ने निजी मामला निपटाने के लिए उन्हें गलत तरीके से फंसाया है।
“कुरान के पन्ने जलाते हुए रंगे हाथ पकड़ी गई”
आसिया बीबी के वकील का कहना है कि,वो लाहौर हाईकोर्ट में इस फैसले के खिलाफ चुनौती देंगे और उन्हें उम्मीद है कि,इसमें उन्हें राहत मिलेगी.इसके विरोध में सरकारी अभियोजक ने कहा कि,आसिया बीबी कुरान के पन्ने जलाते हुए रंगे हाथों पकड़ी गई थी और उस जगह से जले पन्ने भी बरामद हुए थे।आपको बता दें कि,इससे पहले ईसाई महिला का नाम भी आसिया बीबी था जिसको ईशनिंदा कानून का उल्लंघन करने पर 8 साल पहले मौत की सजा सुनाई गई थी लेकिन 2019 में उसे बरी कर दिया गया था।
सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में देंगी चुनौती

अपनी रिहाई के बाद वो इस्लामी चरमपंथियों से मिल रही धमकियों के कारण कनाडा चली गई थी.घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों का मानना है कि,ईशनिंदा के आरोपों का इस्तेमाल अक्सर धार्मिक अल्पसंख्यकों को डराने और व्यक्तिगत रंजिश के चलते किया जाता है।फिलहाल आसिया बीबी को ईशनिंदा के आरोप में दोषी ठहराए जाने के बाद पाकिस्तानी अधिकारियों ने मौत की सजा नहीं दी है.आसिया बीबी का कहना है कोर्ट की ओर से दी गई उम्र कैद की सजा के खिलाफ वो लाहौर हाईकोर्ट में चुनौती देंगी।
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