Food Poisoning: तेलंगाना के गडवाल बीसी रेजिडेंशियल बॉयज स्कूल में शुक्रवार रात खाना खाने के बाद 52 छात्र बीमार पड़ गए। शुरुआती इलाज 108 एम्बुलेंस में ही किया गया, लेकिन स्थिति गंभीर होने पर सभी छात्रों को जिला मुख्यालय के सरकारी जनरल अस्पताल (GGH) में भर्ती कराया गया। बच्चों को उल्टी और पेट दर्द की शिकायत हुई।
घटना के विवरण
अस्पताल प्रशासन के अनुसार, हॉस्टल में कुल 140 बच्चों की क्षमता है और शुक्रवार शाम को लगभग 110 छात्र ने रात का खाना खाया। खाने में पत्तागोभी और फूलगोभी की सब्जी के साथ चावल परोसे गए थे। खाने के कुछ समय बाद 52 छात्रों की तबीयत बिगड़ गई।सूचना मिलते ही पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची और बीमार बच्चों को इलाज के लिए गडवाल अस्पताल भेजा गया। शनिवार सुबह तक 32 बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया गया, जबकि 20 छात्र अभी भी निगरानी में हैं। सभी की हालत फिलहाल स्थिर बताई गई है।अलमपुर के विधायक विजयुडू शनिवार सुबह अस्पताल पहुंचे और बच्चों व उनके माता-पिता से मुलाकात की। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सभी को बेहतरीन इलाज मिलेगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और इसके लिए सख्त कदम उठाए जाएँ।
जांच और सैंपल भेजे गए
जिला कलेक्टर ने बताया कि सभी छात्रों को तुरंत इलाज के लिए भेजा गया और घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी गई है। विशेष ध्यान भोजन में इस्तेमाल किए गए अंडों पर दिया जा रहा है। यदि सैंपल उपलब्ध हुए, तो उन्हें खाद्य निरीक्षक के पास जांच के लिए भेजा जाएगा।
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने स्कूल के खाने के सैंपल जांच के लिए भेजे। जिला स्वास्थ्य अधिकारी और शिक्षा विभाग की टीम ने स्कूल का दौरा कर रसोई की सफाई और खाना बनाने की प्रक्रिया का निरीक्षण किया। स्कूल प्रबंधन को निर्देश दिए गए हैं कि भविष्य में खाने की गुणवत्ता और स्वच्छता पर विशेष ध्यान रखा जाए।
जुलाई में भी हुआ था फूड पॉइजनिंग का मामला
तेलंगाना के नलगोंडा जिले में जुलाई में एक आदिवासी आवासीय स्कूल में फूड पॉइजनिंग का मामला सामने आया था। वहाँ 35 छात्राओं की तबीयत खराब हुई थी। जांच में पाया गया कि अधपके चने और चिकन खाने के कारण यह घटना हुई थी। 30 छात्राओं को इलाज के बाद छुट्टी दी गई थी, जबकि 5 छात्राएं निगरानी में रहीं।
विशेषज्ञों की सलाह
विशेषज्ञों का कहना है कि आवासीय स्कूलों में खाने की गुणवत्ता और स्वच्छता सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। नियमित जांच और खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन बच्चों की सेहत को सुरक्षित रखने में मदद करेगा।
