69000 Teacher Recruitment: 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों का धरना प्रदर्शन शुक्रवार को चौथे दिन भी जारी रहा। बड़ी संख्या में अभ्यर्थी यूपी सरकार के मंत्री और निषाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद के आवास के बाहर जमा हो गए और जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों ने मंत्री से मुलाकात की मांग की और कहा कि उनकी यह संघर्षत तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता।
भर्ती में घोटाले का आरोप
धरने पर बैठे अभ्यर्थियों ने यूपी सरकार पर भर्ती में घोटाले का आरोप लगाया। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। अभ्यर्थियों ने विशेष रूप से पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों को जल्द नियुक्ति देने की मांग की है। उनके अनुसार, उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद, भर्ती की प्रक्रिया में घोटाला हो रहा है और इसे लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
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अभ्यर्थियों ने कई नेताओं के घरों का किया विरोध

इसके पहले, शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, यूपी सरकार के मंत्री आशीष पटेल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और मंत्री ओमप्रकाश राजभर के आवासों का भी घेराव किया था। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद से ही आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलनरत हैं और हर दिन किसी न किसी मंत्री के आवास का घेराव कर रहे हैं।
मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने अभ्यर्थियों से की मुलाकात

बीते गुरुवार को 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर के आवास का घेराव किया। इस दौरान, मंत्री राजभर ने प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों से मुलाकात की और उनकी मांगों का ज्ञापन भी लिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह अभ्यर्थियों के एक प्रतिनिधिमंडल को सात सितंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट कराएंगे। मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल के लिए पांच नाम भी मांगे और कहा कि इस मुद्दे का जल्द समाधान निकाला जाएगा।
सरकार की ओर से आयी प्रतिक्रिया
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी पिछले चार वर्षों से सड़कों पर हैं और न्यायालय के निर्णय के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उच्च न्यायालय ने तीन महीने के भीतर आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नई सूची तैयार करने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। अभ्यर्थी इस स्थिति के खिलाफ संघर्ष जारी रखने की बात कर रहे हैं और सरकार से शीघ्र समाधान की उम्मीद कर रहे हैं। समस्याओं का समाधान समय पर नहीं किया गया, तो यह आंदोलन और भी उग्र हो सकता है, जो समाज और सरकार दोनों के लिए नुकसानदेह होगा। अभ्यर्थियों की निरंतरता और संघर्ष यह दर्शाता है कि उनके लिए यह मामला कितनी गंभीरता का है, और इसका उचित समाधान खोजने की आवश्यकता है।