Gorakhpur: गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां चिड़ियाघर में एक दुखद घटना घटी जब 7 वर्षीय बब्बर शेर भरत की अचानक तबीयत बिगड़ने से मृत्यु हो गई। रविवार देर शाम जब उसका पोस्टमार्टम कराया गया तो पता चला कि भरत की मौत का कारण मिर्गी रहा। भरत को साल 2024 में इटावा लाइन सफारी से गोरखपुर लाया गया था। उसकी मौत के बाद अब उसी के साथ लाई गई शेरनी गौरी को लेकर भी चिंताएं बढ़ गई हैं। जू प्रशासन ने गौरी की लगातार निगरानी शुरू कर दी है और उसके स्वास्थ्य की भी जांच की जा रही है।
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अचानक बिगड़ी थी भरत की हालत 
चिड़ियाघर के चिकित्सक डॉ. योगेश सिंह ने बताया कि शनिवार शाम भरत ने भोजन किया और सामान्य रूप से व्यवहार कर रहा था। रविवार सुबह भी वह स्वस्थ नजर आ रहा था और चहलकदमी कर रहा था, लेकिन शाम के वक्त अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई। वह नाइटसेल में ही गिर पड़ा और साँस लेने में तकलीफ महसूस करने लगा।
सूचना मिलते ही डॉक्टरों की टीम तुरंत वहां पहुंची और इलाज शुरू किया, लेकिन भरत को बचाया नहीं जा सका, और उसने रविवार देर शाम दम तोड़ दिया।
पोस्टमार्टम में मिर्गी की पुष्टि, विसरा सुरक्षित
भरत का पोस्टमार्टम इटावा लाइन सफारी के वन्य जीव चिकित्सक डॉ. आरके सिंह की निगरानी में हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, भरत की मौत मिर्गी के दौरे से हुई है। एहतियात के तौर पर उसका विसरा (viscera) भी सुरक्षित रख लिया गया है जिससे अगर आगे किसी अन्य कारण की पुष्टि करनी हो तो किया जा सके।
पहले दिखे थे मिर्गी के लक्षण
आपको बता दें कि मई 2025 में भरत में पहली बार मिर्गी के लक्षण देखे गए थे। उस समय जू में बर्ड फ्लू की आशंका के चलते भरत की तबीयत बिगड़ने को भी उसी से जोड़ा गया, लेकिन बाद में जांच में मिर्गी की पुष्टि हुई थी। भरत का इलाज हुआ और वह पूरी तरह स्वस्थ भी हो गया था।
शेरनी ‘गौरी’ की बढ़ाई गई निगरानी
भरत की मौत के बाद जू प्रशासन को अब शेरनी गौरी की चिंता सताने लगी है, जो उसी समय इटावा से लाई गई थी। उसकी भी स्वास्थ्य जांच और निगरानी शुरू कर दी गई है जिससे किसी संभावित खतरे को समय रहते टाला जा सके।
पहले भी हो चुकी हैं कई जानवरों की मौतें
गोरखपुर जू में यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी बर्ड फ्लू के कारण कई वन्य जीवों की मौत हो चुकी है। 30 मार्च 2025 को पीलीभीत से लाए गए बाघ केसरी की मौत हुई थी। 5 मई को मादा भेड़िया भैरवी, 7 मई को बाघ शक्ति, 8 मई को तेंदुआ मोना और 23 मई को एक अन्य पक्षी की भी मृत्यु हुई थी। इन घटनाओं के बाद जू को करीब 45 दिनों तक बंद करना पड़ा था। सैनिटाइजेशन अभियान चलाया गया और लखनऊ व कानपुर के जू भी प्रभावित हुए थे।
जू प्रशासन सतर्क

चिड़ियाघर के निदेशक विकास यादव ने बताया कि भरत की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, और डॉक्टरों ने तुरंत उसकी देखभाल शुरू की थी। लेकिन दुर्भाग्यवश, उसे बचाया नहीं जा सका। अब प्रशासन अन्य वन्य जीवों की सेहत को लेकर विशेष सतर्कता बरत रहा है जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
