Independence Day 2025: 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया और देश को संबोधित किया। इस राष्ट्रीय पर्व पर करीब 5 हज़ार मेहमान मौजूद थे, लेकिन दो प्रमुख विपक्षी नेता- कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी- इस समारोह में शामिल नहीं हुए। दोनों के लाल किले पर अनुपस्थित रहने को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है और भाजपा ने इस पर तीखा हमला बोला है।
भाजपा ने राहुल गांधी पर साधा निशाना
बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि कांग्रेस प्रवक्ता ने टीवी बहस में पुष्टि की कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी लाल किले पर 15 अगस्त के कार्यक्रम में नहीं गए। पूनावाला ने इसे एक “शर्मनाक व्यवहार” बताया और कहा कि राहुल गांधी “पाकिस्तान प्रेमी” हैं जो देश और सेना का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह संविधान और सेना का सम्मान करना है?
कांग्रेस के अंदर भी विवादित रुख
हालांकि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे लाल किले पर नहीं थे, वे दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद थे। वहां आयोजित कार्यक्रम में दोनों नेताओं सहित तमाम कांग्रेस नेता भीगते हुए राष्ट्रगान गाते दिखे। मल्लिकार्जुन खड़गे ने तिरंगा भी फहराया। इस कार्यक्रम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें कांग्रेस के बड़े नेता बरसात में भीगते हुए राष्ट्रगान गा रहे हैं।
गैरमौजूदगी पर उठे सवाल
राजनीतिक विश्लेषकों और विपक्षी दलों के बीच इस बात को लेकर चर्चा चल रही है कि आखिर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने लाल किले के राष्ट्रीय समारोह से दूरी क्यों बनाई। हालांकि, कांग्रेस की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं आया है। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे दोनों दिल्ली में मौजूद थे और पार्टी मुख्यालय के कार्यक्रम में भाग लिया, पर लाल किले की प्राचीर से दूर रहे।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
यह स्वतंत्रता दिवस ऐसे समय आया है जब 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो रही हैं। विपक्ष और सत्ता दोनों दल एक-दूसरे पर कटाक्ष करते हुए अपने-अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। भाजपा द्वारा राहुल गांधी की आलोचना और कांग्रेस की ओर से लाल किले से दूरी ने इस राष्ट्रीय अवसर पर राजनीतिक मतभेदों को और गहरा कर दिया है।
देश के सबसे बड़े राष्ट्रीय समारोह में विपक्ष के शीर्ष नेताओं की गैरमौजूदगी पर राजनीतिक सवाल उठना स्वाभाविक है। हालांकि, कांग्रेस ने भी एक अलग मंच से अपने तरीके से स्वतंत्रता दिवस मनाने की कोशिश की। अब यह देखना होगा कि आगामी दिनों में कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे पर क्या स्पष्टता सामने आती है।
