8th Pay Commission:सरकारी कर्मचारियों को झटका! सैलरी बढ़ोतरी पर अभी भी संशय बरकरार

कर्मचारी संगठनों की यह भी मांग है कि इस बार वेतन आयोग में सिर्फ फिटमेंट फैक्टर ही नहीं, बल्कि मूल वेतन संरचना, भत्तों की समीक्षा, और महंगाई भत्ते को भी नए सिरे से तय किया जाए।

Shilpi Jaiswal

8th Pay Commission:भारत सरकार द्वारा 8वें वेतन आयोग को लेकर मंजूरी दिए जाने के बाद से केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के बीच सैलरी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। सबसे अधिक चर्चा का विषय फिटमेंट फैक्टर है, जो सीधे तौर पर सैलरी और पेंशन पर असर डालता है। कर्मचारी संगठन इस बार सरकार से मांग कर रहे हैं कि फिटमेंट फैक्टर 2.86 लागू किया जाए। यदि यह मांग मान ली जाती है, तो अनुमान है कि कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी 51,480 रुपये और पेंशन 25,740 रुपये तक पहुंच सकती है।

Read More:Char Dham Yatra:देशभर में अलर्ट! चारधाम यात्रा में बढ़ी रफ्तार, ओडिशा से उत्तराखंड तक प्रशासनिक तैयारी मुकम्मल

भत्तों और महंगाई दर का दें ध्यान

हालांकि, इसमें कई तकनीकी पहलू और पेच हैं। फिटमेंट फैक्टर केवल एक गणना का जरिया है, जो न्यूनतम सैलरी को गुणा करके बेसिक सैलरी तय करता है। यह सभी वेतन स्तरों पर समान रूप से लागू नहीं होता। इसके अलावा, अन्य भत्तों और महंगाई दर को भी ध्यान में रखा जाता है। सिर्फ फिटमेंट फैक्टर में इजाफा सैलरी बढ़ाने की गारंटी नहीं देता।

6वें वेतन आयोग

पिछले वेतन आयोगों की बात करें तो, 6वें वेतन आयोग में 1.86 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया गया था, लेकिन सैलरी में कुल मिलाकर 54% तक की बढ़ोतरी हुई थी। वहीं, 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 तय किया गया, लेकिन कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी में सिर्फ 14.2% की बढ़ोतरी देखी गई। इस आधार पर विशेषज्ञों का मानना है कि केवल फिटमेंट फैक्टर बढ़ने से सैलरी में भारी इजाफा नहीं होता।

कर्मचारी संगठनों की बढ़ती मांग

कर्मचारी संगठनों की यह भी मांग है कि इस बार वेतन आयोग में सिर्फ फिटमेंट फैक्टर ही नहीं, बल्कि मूल वेतन संरचना, भत्तों की समीक्षा, और महंगाई भत्ते को भी नए सिरे से तय किया जाए। अगर ऐसा होता है, तो सैलरी में वाकई में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।

Read More:Monsoon 2025:केरल के तट पर मानसून की दस्तक,खेती और महंगाई पर पड़ सकता है असर

कर्मचारी संगठन को अंतिम फैसले का इंतजार

सरकार की ओर से अभी इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि आने वाले बजट या वित्तीय वर्ष में इसे लागू किया जा सकता है। फिलहाल सभी कर्मचारी संगठन और विशेषज्ञ आगामी फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

Share This Article

अपना शहर चुनें

Exit mobile version