मलेशिया में इस अनोखे तरीके से पूजे जाते हैं भगवान...
मलेशिया में इस अनोखे तरीके से पूजे जाते हैं भगवान...
थईपुसम त्यौहार: मलेशिया में सर्दियों से मनाया जाने वालों थईपुसम त्यौहार मनाने के लिए लाखों तमिल श्रद्धालु शामिल होते हैं। बता दें कि मान्यता हैं कि भगवान मुरुगन को प्रसन्न करने के लिए वे अपने शरीर में सैकड़ों कीलों से छेदते हैं। आपको बता दें कि मलेशिया का थईपुसम त्योहार भगवान मुरुगन को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता हैं, और यह वहां का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार हैं। बता दें कि मलेशिया यह त्यौहार 1892 से मनाया जा रहा हैं। मलेशिया में बातू गुफ़ाओं में सबसे ज़ोरदार उत्सव होता है। बता दे कि गुफ़ा के अंदर बने मंदिर में गोलाकार फ्रेम की होती है, जिसे मोरपंखों और फूल-मालाओं से सजाया जाता है। इसके फ्रेम से हुक और सैकड़ों खूंटियां लटकी होती हैं जिनको श्रद्धालु अपने शरीर में घुसा लेते हैं। वहीं देखकर यह दर्दनाक लगता है, लेकिन कुछ भक्तों के लिए यह उत्सव का मुख्य हिस्सा होता है। बता दें कि यह त्यौहार मलेशिया में एक बातू गुफ़ा में सबसे ज्यादा जोरशोर से मनाया जाता हैं और हर साल शुरुआत में ही लगभग 15 लाख लोग कई अलग- अलग स्थानों से आते हैं, और उत्सव के दौरान हज़ारों लोगों को ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते हुए गुफ़ा की ओर बढ़ते जाते हैं। जिससे निकलते ही गुफा के नीचे बने मुख्य द्वार से गुज़रते हैं, भगवान मुरुगन की विशाल प्रतिमा के दर्शन करते हैं और 272 सतरंगी सीढ़ियां चढ़कर गुफ़ा के अंदर बने मंदिर में जाते हैं। इतना ही नहीं वह भगवान मुरुगन को प्रसन्न करने के लिए 48 दिनों तक उपवास और पूजा-पाठ करते हैं और गुफा में कई श्रद्धालु कांवड़ लेकर चलते हैं जो अलग-अलग आकार-प्रकार की होती है जैसी उनकी मान्यता होती हैं। आम तौर पर यह गोलाकार फ्रेम की होती है, जिसे मोरपंखों और फूल-मालाओं से सजाया जाता है।