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संविधान दिवस पर पीएम मोदी ने लॉन्च की नई योजना

संविधान दिवस पर पीएम मोदी ने लॉन्च की नई योजना

संविधान दिवस : आज  26 नवंबर को संविधान दिवस है, जिसे पूरे देश में मनाया जा रहा है हमारे भारतीय संविधान को अपनाए जाने की याद में हर साल 26 नवंबर को देश में संविधान दिवस के तौर मनाया जाता है। वर्ष 1949 में संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को 26 नवंबर को ही अपनाया गया गया था। हालांकि, इसे 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू किया गया था। वहीं, केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 19 नवंबर 2015 को घोषणा की थी कि 26 नवंबर को हर साल संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। इसके बाद से हर साल संविधान दिवस को इस दिन मनाया जाता है

395 अनुच्छद वाले भारतीय संविधान में अब हैं 470 अनुच्छेद

भारतीय संविधान को बनाए जाने में संविधान सभा को 167 दिन लगे जिसके लिए 11 सत्र आयोजित किए गए। अपने मूल रूप में भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 खण्ड और 8 अनुसूचियां हैं। हमारे संविधान में कुल 1,45,000 शब्द हैं, जो कि पूरे विश्व में सबसे लंबा अपनाया गया संविधान है। हालांकि, इस समय हमारे संविधान में 470 अनुच्छेद, 25 खण्ड और 12 अनुसूचियों के साथ-साथ 5 परिशिष्ट भी हैं।

 

पीएम मोदी ने E-Court Project किया लॉन्‍च, अब आम जनता के लिए यूं सरल हो  जाएगी न्‍यायिक व्‍यवस्‍था - e court Project is an effort to provide  services to litigants lawyers and

भारत का संविधान भारत को कानूनी रूप से चलाने की नियम पुस्तिका 
यह विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसे लिखने का काम 6 दिसंबर, 1946 से शुरू हुआ।
इसे बनाने वाली कंस्टिटुएंट असेम्ब्ली थी, जिसमें प्रोविंशियल असेम्ब्लियों और प्रिंसली स्टेट्स से आए 299 सदस्य थे दुनिया भर के संविधानों से अध्ययन कर न्यायविद बीएन राउ ने डॉ आंबेडकर और ड्राफ्टिंग समिति को अनेकों इनपुट प्रदान किए, जिन्होंने बड़ी खूबसूरती से उन्हें जोड़ कर एक श्रेष्ठ ढांचा तैयार किया।

वही बात करें आज देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  सुबह 10 बजे सुप्रीम कोर्ट में आयोजित संविधान दिवस समारोह में शामिल हुए इस दौरान ई-कोर्ट परियोजना के तहत विभिन्न नई पहलों और वेबसाइट का उद्घाटन किया  समारोह में CJI डी वाई चंद्रचूड़, कानून मंत्री किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज भी मौजूद रहे। PM मोदी ने कहा कि 1949 में यह आज का ही दिन था, जब स्वतंत्र भारत ने अपने लिए एक नई भविष्य की नींव डाली थी, इस बार का संविधान दिवस इसलिए भी विशेष है, क्योंकि भारत ने अपने आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना के पहले तीन शब्द- 'We The People' केवल शब्द नहीं हैं, ये एक आह्वान हैं, एक प्रतिज्ञा हैं, एक विश्वास हैं।

PM ने कहा कि आज दुनिया हमें बहुत उम्मीदों से देख रही है। आज पूरे सामर्थ्य से, अपनी सभी विविधताओं पर गर्व करते हुए ये देश आगे बढ़ रहा है और इसके पीछे हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है। आजादी का ये अमृत काल देश के लिए 'कर्तव्य काल' है। व्यक्ति हों या संस्थाएं... हमारे दायित्व ही हमारी पहली प्रतिज्ञा है।PM बोले- संविधान को लेकर समझ बढ़े इसके लिए डिबेट और डिस्कशन जरूर PM ने कहा कि भारत की मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में जो पहचान है, हमें उसको और भी अधिक सशक्त करना है। हमारे संविधान की स्पिरिट यूथ सेंट्रिक है। आज संविधान दिवस पर मैं देश की न्यायपालिका से एक आग्रह भी करूंगा कि युवाओं में संविधान को लेकर समझ बढ़े इसके लिए डिबेट और डिस्कशन को बढ़ाना चाहिए।

कानून मंत्री ने डॉ. आंबेडकर को किया याद
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि संविधान वह आधारशिला है जिस पर भारतीय राष्ट्र खड़ा है और हर गुजरते साल नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। हमें बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर के शब्दों को याद करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि इस स्वतंत्रता ने हम पर बड़ी जिम्मेदारी डाली है। इस आजादी के बाद हम कुछ भी गलत के लिए अंग्रेजों को दोष नहीं दे सकते।उन्होंने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पूर्व CJI एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता में भारतीय सामाजिक समिति का गठन किया है। यह समिति क्षेत्रीय भाषाओं में कानूनी सामग्री का अनुवाद करेगी और सभी भारतीय भाषाओं के लिए एक सामान्य शब्दावली बनाएगी।उन्होंने बताया कि विधायी विभाग (लेजिस्लेटिव डिपार्टमेंट) ने 65,000 कानून के शब्दों वाली एक शब्दावली तैयार की है। हमारी योजना इसे डिजिटाइज करने की है जिसे जनता आसानी से इस्तेमाल कर सके। क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित कानूनी शब्दावलियों को एकत्र, डिजिटाइज करने और जनता के लिए उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।

इन योजनाओं की शुरुआत
अपको बता दें कार्यक्रम के दौरान, प्रधान मंत्री ई-कोर्ट परियोजना के तहत विभिन्न नई पहलों का शुभारंभ किया। यह परियोजना अदालतों की आईसीटी सक्षमता के माध्यम से वादियों, वकीलों और न्यायपालिका को सेवाएं प्रदान करने का एक प्रयास है। इन पहलों में वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, JustIS मोबाइल ऐप 2.0, डिजिटल कोर्ट और S3WaaS वेबसाइट शामिल हैं 

 

आजादी के बाद भी हमें साजिशन गुलामी का इतिहास पढ़ाया गया', Lachit Borphukan  के जयंती समारोह में बोले पीएम मोदी - PM Modi at birth anniversary of Lachit  Borphukan said we were

वर्चुअल जस्टिस क्लॉक

वर्चुअल जस्टिस क्लॉक कोर्ट लेवल पर जस्टिस डिलीवरी सिस्टम के जरूरी आंकड़ों को दिखाने की एक पहल है, जिसमें कोर्ट लेवल पर दिन/सप्ताह/महीने के आधार पर स्थापित मामलों, निपटाए गए मामलों और लंबित मामलों का डिटेल्स दी गई हैं। यह कोर्ट की ओर से निपटाए गए मुकदमों की स्थिति को जनता के साथ शेयर कर कोर्ट के कामकाज को जवाबदेह और पारदर्शी बनाने का प्रयास है।

JustIS मोबाइल ऐप 2.0
JustIS मोबाइल ऐप 2.0 न्यायिक अधिकारियों के लिए इफेक्टिव कोर्ट और केस मैनेजमेंट के लिए उपलब्ध एक उपकरण है, जो न केवल उनकी अदालत, बल्कि उनके अधीन काम करने वाले व्यक्तिगत जजों के लंबित मामलों और निपटान की निगरानी करता है। यह ऐप हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए भी उपलब्ध कराया गया है, जो अब अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सभी राज्यों और जिलों के पेंडेंसी और निपटान की निगरानी कर सकते हैं।

e-Courts प्रोजेक्ट की सुविधा
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने ई-कोर्ट परियोजना(e-Courts project) के तहत कई नई पहल(new initiatives) का शुभारंभ किया। यह प्रोजेक्ट अदालतों की आईसीटी सक्षमता के माध्यम से वादियों, वकीलों और न्यायपालिका को सेवाएं मुहैया करने का एक प्रयास है। पीएम मोदी द्वारा शुरू किए जाने वाली पहल में वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, जस्टआईएस मोबाइल ऐप 2.0, डिजिटल कोर्ट और एस3डब्ल्यूएएएस वेबसाइट्स शामिल हैं। क्लिक करके जानिए e-Courts कैसे हैं फायदेमंद

वर्चुअल जस्टिस क्लॉक कोर्ट लेवल पर स्तर पर न्याय वितरण प्रणाली  के महत्वपूर्ण आंकड़ों को प्रदर्शित करने की एक पहल है, जिसमें दिन/सप्ताह/महीने के आधार पर कोर्ट लेवल पर दायर मामलों, निपटाए गए मामलों और लंबित मामलों की डिटेल्स मौजूद रहेगी। यह कोर्ट द्वारा निपटाये गये मुकदमों की स्थिति को जनता के साथ शेयर कर अदालतों के कामकाज को जवाबदेह और पारदर्शी बनाने का एक प्रयास है। आम लोग जिला न्यायालय की वेबसाइट पर किसी भी अदालत की वर्चुअल जस्टिस क्लॉक का उपयोग कर सकते हैं।

जस्टआईएस मोबाइल ऐप 2.0 न्यायिक अधिकारियों के लिए अदालत और मुकदमों के कारगर प्रबंधन के लिए उपलब्ध एक डिवाइस है, जो न सिर्फ उनकी अपनी अदालत बल्कि उनके अधीन काम करने वाले विभिन्न जजों के समक्ष लंबित मामलों और उसके निपटान की निगरानी करता है। यह ऐप हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए भी उपलब्ध कराया गया है, जो अब अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सभी राज्यों और जिलों के लंबित मामलों और उसके निपटान की निगरानी कर सकते हैं।डिजिटल कोर्ट, अदालतों को कागज रहित बनाने की दिशा में बदलाव लाने के उद्देश्य से न्यायाधीश को अदालत के रिकॉर्ड डिजिटल रूप में उपलब्ध कराने से संबंधित एक पहल है।

 S3WaaS वेबसाइट्स

 अपको बता दें , जिला स्तर की न्यायपालिका से संबंधित निर्दिष्ट जानकारी और सेवाओं को प्रकाशित करने बाबत विभिन्न वेबसाइटों को बनाने, कॉन्फ़िगर करने, तैनात करने और प्रबंधित करने का एक ढांचा है। एस3डब्ल्यूएएएस एक क्लाउड सेवा है, जिसे सरकारी संस्थाओं के लिए सुरक्षित, मापनीय और सुगम्य वेबसाइट बनाने के लिए विकसित किया गया है। यह बहुभाषी, नागरिकों व दिव्यांगों के अनुकूल है।

26 नवंबर, 1949 को बना संविधान
26 जनवरी, 1950 को अंग्रेजों के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 की जगह भारत का संविधान लागू हुआ था। भारत का संविधान वैसे तो 26 नवंबर, 1949 को ही बनकर तैयार हो गया था और इसे संविधान सभा की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन इसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था।

26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ था संविधान
ऐसा करने की एक खास वजह थी, दरअसल, 26 जनवरी, 1930 को कांग्रेस ने देश की पूर्ण आजादी का नारा दिया था। इसी की याद में संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी, 1950 तक इंतजार किया गया।दरअसल, 1929 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पहली बार पूर्ण स्वराज की शपथ ली गई थी। उस अधिवेशन में अंग्रेज सरकार से मांग की गई थी कि भारत को 26 जनवरी, 1930 तक संप्रभु दर्जा दे दिया जाए। फिर 26 जनवरी, 1930 को पहली बार पूर्ण स्वराज या स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था।

इसके बाद 15 अगस्त, 1947 तक यानी अगले 17 सालों तक 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता रहा। इस दिन के महत्व की वजह से 1950 में 26 जनवरी को देश का संविधान लागू किया गया और इसे गणतंत्र दिवस घोषित किया गया
भारत के संविधान से जुड़ी अहम जानकारी

अथक श्रम से यह 26 नवंबर 1949  को तैयार हुआ
गांधी जी, नेहरू और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से 1930 में 26 जनवरी को मनाए गए स्वतंत्रता दिवस की याद में ठीक दो महीने बाद 26 जनवरी 1950 (गणतंत्र दिवस) से इसे लागू किया गया।आज भारत के संविधान में कुल 25 (शुरू में 22) भाग, 448 (शुरू में 395) आर्टिकल्स हैं। यह दुनिया के सबसे आधुनिक विचारों जैसे सामाजिक, आर्थिक और लैंगिक समानता, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र को शामिल करता है।

आज भारत को उम्मीदों से देख रही है दुनिया
संविधान दिवस समारोह में बोले PM मोदी ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। पीएम मोदी ने कहा कि आज की वैश्विक परिस्थितियों में पूरे विश्व की नजर भारत पर है। देश के तेज विकास कर रहा है। बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और भारत की मजबूत होती अंतरराष्ट्रीय छवि के बीच दुनिया हमें बहुत उम्मीदों से देख रही है। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे संविधान में प्रस्तावना की शुरुआत में जो वी द पीपुल लिखा है, ये केवल तीन शब्द नहीं हैं। वी द पीपुल एक आह्वान है, एक प्रतिज्ञा है और एक विश्वास है। भारत का संविधान दुनिया में लोकतंत्र की जननी रहा है, मदर ऑफ डेमोक्रेसी रहा है।

26/11 को याद किया
आज 26 नवंबर वह दिन भी है जब ठीक 14 साल पहले निर्दोष लोगों पर आतंकवाद की सबसे अमानवीय घटना को अंजाम दिया गया था। मैं मुंबई हमले के सभी पीड़ितों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। भारत को लेकर दुनिया को जो आशंकाएं थीं, वे उम्मीदों में बदल गईं, दुनिया ने भारत से! इस तरह भारत आगे बढ़ रहा है। इस तरह भारत अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर रहा है। इन सबके पीछे सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है।


अदालतें लोगों तक पहुंचें
चीफ जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ ने कहा कि चीफ जस्टिस होने के नाते उनका दायित्व है कि हर भारतवासी के लिए न्याय को सुलभ बनाएं। सुप्रीम कोर्ट और जिला स्तर की अदालतों के साथ मिलकर हाशिए पर मौजूद लोगों को न्याय दिला सकें। सीजेआई ने कहा कि किसी भी सभ्य देश के लिए यह आवश्यक है कि अदालतें लोगों तक पहुंचे। यानी लोगों के कोर्टरूम आने का इंतजार न किया जाए।

मोदी ने कहा
1949 में इसी दिन, स्वतंत्र भारत ने अपने भविष्य के लिए महान नींव रखी थी। यह संविधान दिवस और भी खास हो जाता है क्योंकि भारत आजादी के 75 साल की अपनी यात्रा पूरी करने के बाद आगे बढ़ रहा है। संविधान की प्रस्तावना के पहले तीन शब्द- 'We The People' केवल शब्द नहीं हैं... ये एक आह्वान है, एक प्रतिज्ञा है, एक विश्वास है। आज दुनिया हमें बहुत उम्मीदों से देख रही है। आज पूरे सामर्थ्य से, अपनी सभी विविधताओं पर गर्व करते हुए ये देश आगे बढ़ रहा है और इसके पीछे हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है। Pro People की ताकत से आज देश का सशक्तिकरण हो रहा। सामान्य मानवी के लिए कानूनों को सरल बनाया जा रहा है। आजादी का ये अमृत काल देश के लिए 'कर्तव्य काल' है। व्यक्ति हों या संस्थाएं... हमारे दायित्व ही हमारी पहली प्रतिज्ञा है। भारत की Mother of Democracy के रूप में जो पहचान है, हमें उसको और भी अधिक सशक्त करना है। हमारे संविधान की स्पिरिट 'Youth Centric है। आज संविधान दिवस पर मैं देश की न्यायपालिका से एक आग्रह भी करूंगा कि- युवाओं में संविधान को लेकर समझ बढ़े इसके लिए डिबेट और डिस्कशन को बढ़ाना चाहिए

 


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