स्वामी प्रसाद मौर्य: अब लीपापोती से बात नहीं बनेगी
स्वामी प्रसाद मौर्य: अब लीपापोती से बात नहीं बनेगी
Uttar pradesh: स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर विवादित बयान को लेकर लगातार माहौल गरमाया हुआ हैं उनके इस बयान से कई लोगों के मन में आक्रोश का माहौल हैं जिसमें कुछ दिन पहले कुछ साधु संतों ने कहा- था कि रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी करने वालों पर इनाम रखा था कि ऐसे लोगों की जीभ, नाक, सर और गला काटने वालों को इनाम दिया जायेगा। जिसको लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उन साधु संतों के विरुद्ध RSS दर्ज कराने की चुनौती दी हैं। जिसमें उन्होनें कहा- कि जिन्होंने उनकी जीभ, नाक, सर और गला काटने के लिए ईनाम की घोषणा की थी। जिसको लेकर स्वामी प्रसाद ने योगी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ रासुका लगाना और मुकदमा दर्ज कराना चाहिए। जिस पर रामचरितमानस को लेकर उठे विवाद के बाद RSS प्रमुख ने रविवार को मुंबई में कहा था कि ऊंच-नीच की श्रेणी भगवान ने नहीं, पंडितों ने बनाई। स्वामी प्रसाद ने कहा कि 'मैंने तो सिर्फ रामचरिमानस की कुछ पंक्तियों पर आपत्ति जताते हुए उन्हें हटाने की मांग की थी। मैंने तो यह बात सांविधानिक दायरे में रह कर की थी। मेरे खिलाफ एफआइआर इसलिए दर्ज करायी गई क्योंकि मैं पिछड़ी जाति का हूं जबकि मेरे अंग काटने की सुपारी देने वाले साधु संतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मानस की आपत्तिजनक कुछ चौपाइयों को संशोधित व प्रतिबंधित करने की मांग को, कुछ लोग श्रीराम, हिंदू धर्म और रामचरितमानस से जोड़कर मामले को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे ही लोग महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों के 97% आबादी के सम्मान के विरोधी हैं।
इसके साथ ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने प्रधानमंत्री को ट्वीट करते हुए कहा- कि मा. प्रधानमंत्री जी आप चुनाव के समय इन्हीं महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ो को हिंदू कहते हैं, और RSS प्रमुख, भागवत जी कहते हैं कि जाति पंडितों ने बनाई। तो आखिर इन्हें नीच, अधम, प्रताड़ित, अपमानित करने वाली रामचरित्र मानस की आपत्तिजनक टिप्पणियों को हटाने हेतु पहल क्यों नहीं। इसी के साथ यह भी कहा- कि जाति-व्यवस्था पंडितो (ब्राह्मणों) ने बनाई है, यह कहकर RSS प्रमुख श्री भागवत ने धर्म की आड़ में महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ो को गाली देने वाले तथाकथित धर्म के ठेकेदारों व ढोंगियों की कलई खोल दी, कम से कम अब तो रामचरित्र मानस से आपत्तिजनक टिप्पणी हटाने के लिये आगे आयें।
इतना ही नहीं उन्होनें यह भी कहा- कि यदि यह बयान मजबूरी का नहीं है तो साहस दिखाते हुए केंद्र सरकार को कहकर, रामचरितमानस से जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर नीच, अधम कहने तथा महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों को प्रताड़ित, अपमानित करने वाली टिप्पणियों को हटवायें। मात्र बयान देकर लीपापोती करने से बात बनने वाली नहीं है।