विपक्षी के बहिष्कार के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नए संसद भवन का मामला
विपक्षी के बहिष्कार के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नए संसद भवन का मामला
- By Komal
- 2023-05-25
New Parliament Building: आगामी 28 मई को होने वाले संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल हुई है, आपको बता दे कि, सुप्रीम कोर्ट के वकील सी.आर.जया सुकिन की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया है, कि उद्घाटन समारोह से राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके भारत सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया गया है और संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है। वही अब इस पर सियासत तेज हो गई है, जहां 20 विपक्षी पार्टियों ने इस समारोह का बहिष्कार किया है। 16 दलों ने इसमें भाग लेने की बात कही है। विपक्षी दलों का कहना है कि पीएम मोदी इस भवन का उद्घाटन कैसे कर सकते हैं। राष्ट्रपति को इसका उद्घाटन करना चाहिए, अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है, सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर की गई है। वही विपक्षी दलों का तर्क है कि नए संसद भवन के उद्घाटन का सम्मान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को मिलना चाहिए क्योंकि राष्ट्रपति न केवल राष्ट्राध्यक्ष होते हैं, बल्कि वह संसद का अभिन्न अंग भी हैं क्योंकि वही संसद सत्र आहूत करते हैं, उसका अवसान करते हैं और साल के पहले सत्र के दौरान दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित भी करते हैं। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी(आप), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा), समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने उद्घाटन समारोह का संयुक्त रूप से बहिष्कार करने की घोषणा की है।आखिर क्या है याचिका में की गई मांग
राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है, साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है। याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति संसद का एक अभिन्न अंग है। शिलान्यास समारोह से राष्ट्रपति को क्यों दूर रखा गया है। याचिका में कहा कि पहले तो जब इमारत का शिलान्यास हुआ तो राष्ट्रपति को इससे दूर रखा गया। अब जब नई संसद का उद्घाटन हो रहा है तो भी उनको दूर रखा जा रहा है। आपको बता दे कि, याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 85 के तहत राष्ट्रपति ही संसद का सत्र बुलाते हैं। अनुच्छेद 87 के तहत उनका संसद में अभिभाषण होता है, जिसमें वह दोनों सदनों को संबोधित करते हैं। संसद से पारित सभी विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही कानून बनते हैं. इसलिए, राष्ट्रपति से ही संसद के नए भवन का उद्घाटन करवाया जाना चाहिए।
विपक्षी दलों ने किया बहिष्कार