ईडी कार्यालय जाकर पत्र देने से जब रोका गया तो, खडगे ने किया ई-मेल
ईडी कार्यालय जाकर पत्र देने से जब रोका गया तो, खडगे ने किया ई-मेल
नई दिल्ली: लोकसभा के विपक्षी दल ने बुद्ववार को अदानी समूह के विरूद्व अपना विरोध तेज कर दिया है। और एक जांच समिति बनाने की मांग की गयाी है इस वजह से संसद के दोनो सदनों की कार्यवाही लगातार तीसरे दिन भी रोक लगा दी गयी दूसरी तरफ मौजूदा सरकार के सांसद राहुल गांधी से लंदन में दिये गये अपने बयान पर माफी मांगने पर संसद सदस्यों में गतिरोध बना हुआ है। अब इस विषय को लेकर मौजूदा सरकार और विपक्ष एक दसरे पर हमलावर हो गया हैं इस क्रम में अब संसद की कार्यवाही सोमवार को आरंभ होगी। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है की एक तरफ विपक्ष सरकार पर हमलावर है क्योंकि सरकार द्वारा अदानी समूह का बचाव किया जा रहा है आदानी समूह द्वारा कथित शेयर की कीमतों मे हेर-फेर किया गया है। कि लेकिन सरकार फिर भी उनको क्लीन चिट दे रही है। और उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नही की जा रही है। जबकि कांग्रेस अदानी के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही की मांग कर रही है। उघर मौजूदा सरकार द्वारा विदेशी धरती पर कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी के द्वारा विदेशी धरती पर देश के खिलाफ दिये गये बयान को लेकर हमलावर है। ईडी को अडानी घोटाले की जांच की मांग का शिकायती पत्र सौंपने जा रहे 16 विपक्षी दलों के नेताओं और सांसदों को आज दोपहर ईडी के कार्यालय तक जाने से रोक दिया गया।
यह वह पत्र है, जिसे ईडी को ईमेल किया गया है। pic.twitter.com/u9XGWOmE2V
और बीजेपी चाहती है की राहुल गांधी सदन में अपने दिये गये बयान पर सफाई दें और बयान पर माफी मांगे। लेकिन राहुल गांधी अपने बयानों पर अडे हुये है।
विपक्ष ने एक पत्र का मसौदा तैयार किया है जिसमें ईडी और आदानी के रिश्ते की बात भी कही जा रही है और विपक्ष आरोप लगा रहा है की सरकार के द्वारा अदानी के खिलाफ जल्द से जल्द कार्यवाही की जानी चाहिए। साथ ही अदानी द्वारा जो पोर्ट बनाये गये है उन पर कई बार नशीली दवाये, ड्रग्स प्राप्त हो रहे है। और उसके बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
इन्ही सब बातों को लेकर खडगे मसौदा सीधे ईडी के कार्यालय में देना चाहते थे। लेकिन यह अब सम्भव नहीं हो सका इस वजह से खडगे साहब ने ईडी कार्यालय में ईमेल भेजा है और अपनी मांगों को रखा है। तथा इस पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है की मुंबई के धारावी क्षेत्र पुर्नविकास के लिए एक टेंडर निकाला गया था जिसे पहले दुबई की एक कंपनी को दिया गया था यह प्रोजेक्ट लगभग कुल 7200 करोड़ रूपये का है जिसे बाद में बदल दिया गया और इसे अदानी कंपनी को दे दिया गया और इस विषय में कोई भी प्रभावी संज्ञान नहीं लिया गया।