SCO Summit 2025: मोदी, जिनपिंग और पुतिन की मुलाकात से ग्लोबल डिप्लोमेसी में नया अध्याय, SCO मंच पर बढ़ती भारत की भूमिका

Chandan Das

SCO Summit 2025:  चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट के मंच पर एक नई कूटनीतिक कहानी लिखी गई। मंच पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ नजर आए। ग्रुप फोटो सेशन के दौरान सभी सदस्य देशों के नेता एक मंच पर खड़े दिखे, जिसने वैश्विक राजनीति को एक नया संकेत दिया।

जिनपिंग ने गर्मजोशी से किया पीएम मोदी का स्वागत

फोटो सेशन के दौरान जब पीएम मोदी मंच पर पहुंचे, तो मेजबान शी जिनपिंग ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। जिनपिंग की पत्नी पेंग लीयुआन भी उनके साथ मौजूद थीं। फोटो सेशन के बाद पीएम मोदी ने दोनों से हाथ मिलाया। इस दौरान तीनों के चेहरों पर मुस्कान देखी गई, जिसने माहौल को और सौहार्दपूर्ण बना दिया।

पुतिन और मोदी के बीच ताजिक-किर्गिज नेताओं की मौजूदगी

ग्रुप फोटो में पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच ताजिकिस्तान और किर्गिजस्तान के राष्ट्राध्यक्ष मौजूद थे। यह समिट न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग पर केंद्रित रही, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति पर भी इसका असर पड़ा। सम्मेलन के बाद पीएम मोदी ने नेपाल, मालदीव सहित कई अन्य देशों के नेताओं से द्विपक्षीय वार्ताएं भी कीं।

मोदी का चीन दौरा सात साल बाद

यह चीन में पीएम मोदी का सात वर्षों के बाद दौरा है। शी जिनपिंग के साथ यह उनकी दस महीनों में दूसरी मुलाकात रही। इससे पहले दोनों नेता ब्रिक्स 2024 सम्मेलन के दौरान रूस के कजान शहर में मिले थे। यह निरंतर संवाद द्विपक्षीय रिश्तों में संभावनाओं को बढ़ावा दे रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह त्रिपक्षीय उपस्थिति वैश्विक व्यवस्था में एक मील का पत्थर बन सकती है। हालांकि भारत, चीन और रूस के बीच ऐतिहासिक और रणनीतिक विरोधाभास भी हैं। जानकारों का कहना है कि अगर इस मंच के माध्यम से भारत-चीन के बीच के कोर मुद्दे, जैसे पाकिस्तान को चीनी समर्थन या सीमा विवाद, सुलझते हैं, तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।

अमेरिका की चिंता और ट्रंप की पैनी नजर

SCO समिट पर अमेरिका और विशेष रूप से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पैनी नजर रही। ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ के बाद इस समिट को कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना गया। अमेरिका चिंतित है कि भारत और चीन की नजदीकियां कहीं उसके हितों को नुकसान न पहुंचाएं, खासकर भारत-रूस के ऊर्जा व्यापार को लेकर।

रूसी तेल पर अमेरिका की आपत्ति

अमेरिका ने हाल ही में भारत द्वारा रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने पर आपत्ति जताई थी, यह कहते हुए कि भारत इससे लाभ कमा रहा है। भारत ने इसका कड़ा जवाब देते हुए कहा कि यह खरीद वैश्विक तेल बाजार की स्थिति के अनुसार है और इससे कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिली है। भारत ने स्पष्ट किया कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगा और तेल की खरीद जारी रखेगा। SCO समिट में भारत की भागीदारी और वैश्विक नेताओं के साथ संवाद यह दर्शाता है कि भारत अब केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक डिप्लोमेसी का अहम केंद्र बनता जा रहा है। यह मुलाकात आने वाले समय में कई भू-राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।

Read More  : Aaxar Patel: एशिया कप 2025 से पहले दिल्ली कैपिटल्स में बड़ा बदलाव? खतरे में अक्षर पटेल की कप्तानी

Share This Article

अपना शहर चुनें

Exit mobile version