Trump Tariff War: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने विवादित बयानों की लिस्ट में एक नया दावा जोड़ दिया है। इस बार ट्रंप ने कहा है कि टैरिफ (आर्थिक शुल्क) की धमकी ने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को रोका। ट्रंप का कहना है कि यदि उनके पास टैरिफ लगाने की ताकत नहीं होती, तो दुनिया में 7 में से 4 युद्ध अभी भी जारी होते।
टैरिफ की वजह से रोका युद्ध
व्हाइट हाउस में मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, “अगर मेरे पास टैरिफ लगाने की ताकत नहीं होती, तो आज भी कई देश युद्ध में उलझे होते।” इसके बाद उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच 2019 में हुए तनाव का ज़िक्र करते हुए कहा, “देखिए भारत और पाकिस्तान को। वे एक भयंकर युद्ध की ओर बढ़ रहे थे। सात विमान गिराए गए थे। लेकिन हमारी टैरिफ नीति की चेतावनी से दोनों देश पीछे हटे और युद्ध टल गया।” ट्रंप ने आगे कहा, “मैंने दोनों देशों को क्या कहा, ये मैं यहां नहीं बताऊंगा। लेकिन मेरा कहा बहुत असरदार था।” उन्होंने दावा किया कि टैरिफ से अमेरिका को आर्थिक लाभ तो हुआ ही, साथ ही यह दुनिया में शांति लाने का माध्यम भी बना।
भारत ने पहले ही कर चुका है खारिज
हालांकि ट्रंप के इस दावे को भारत सरकार पहले भी कई बार खारिज कर चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष पूरी तरह द्विपक्षीय मामला था और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं रही। खुद पीएम मोदी ने ट्रंप को फोन पर यह बात साफ तौर पर कह दी थी। भारत ने हमेशा से हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह रुख दोहराया है कि भारत-पाकिस्तान के बीच कोई भी मसला बातचीत के माध्यम से ही सुलझेगा और वो भी बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के। यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने इस तरह का दावा किया हो। 2019 के पुलवामा हमले और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव को लेकर ट्रंप ने खुद को “शांति दूत” बताया था। हालांकि अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों और भारतीय अधिकारियों ने ट्रंप के इन बयानों को “राजनीतिक स्टंट” करार दिया था।
खुद को नोबेल पुरस्कार का हकदार बताया
अब एक बार फिर ट्रंप ने पुराने दावे को दोहराते हुए खुद को नोबेल पुरस्कार का हकदार बताया है। उन्होंने कहा, “हमने न केवल अरबों डॉलर कमाए, बल्कि दुनिया में अमन-चैन भी स्थापित किया। अमेरिका एक बार फिर दुनिया का ‘पीसमेकर’ बन गया है।”जहां एक ओर ट्रंप के समर्थक उनके बयानों को रणनीतिक सफलता मानते हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इसे ‘झूठा श्रेय लेने की कोशिश’ माना जा रहा है। भारत में भी इस बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। ट्रंप का यह नया बयान न सिर्फ उनकी विदेश नीति की सोच को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी अंतरराष्ट्रीय मुद्दे का राजनीतिकरण करने से नहीं चूकते।
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