Aaj Ka Mausam: उत्तर भारत में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है, और पहाड़ी राज्यों में मौसम पूरी तरह से बदल चुका है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और बिहार के कई जिलों में बारिश की संभावना जताई है। इसके साथ ही कुछ राज्यों में ओलावृष्टि की भी चेतावनी दी गई है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बर्फबारी ने जनजीवन को अस्तव्यस्त कर दिया है। मौसम विभाग ने आज भी पहाड़ों पर बर्फबारी की संभावना जताई है।
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तेज बारिश और ओलावृष्टि का अलर्ट

तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में रात से ही भारी बारिश हो रही है, जबकि दिल्ली-एनसीआर में भी बारिश की संभावना बनी हुई है। आईएमडी के मुताबिक, रविवार को दिल्ली में तेज हवाएं चल सकती हैं। पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के कारण मौसम में बदलाव आया है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश ने उत्तर प्रदेश के मौसम पर भी असर डाला है। अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जोरदार बारिश होने की संभावना जताई जा रही है।
पश्चिमी विक्षोभ का असर
मौसम विज्ञानी कैलाश पांडेय के अनुसार, अगले दो दिनों तक आसमान में छिटपुट बादल बने रहेंगे, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जोरदार बारिश होगी। नोएडा, मेरठ, गाजियाबाद और आसपास के जिलों में गरज-चमक के साथ तेज बारिश हुई है। साथ ही ओलावृष्टि से ठंड बढ़ गई है। पांडेय ने बताया कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के ऊपर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया है, जो तिब्बत की ओर बढ़ रहा है और यह नमी को बढ़ा रहा है।
पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी का सिलसिला जारी

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पहाड़ों पर बर्फबारी और बारिश का सिलसिला जारी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में भी बर्फीली हवाएं असर दिखा रही हैं। मौसम विभाग के अनुसार, तीन मार्च से पश्चिमी विक्षोभ फिर सक्रिय हो रहा है, जिसके बाद हल्की बारिश और हिमपात की संभावना जताई गई है। चार और पांच मार्च को भारी हिमपात और वर्षा की चेतावनी भी दी गई है।
बर्फबारी और बारिश से सड़कें बंद

इस सिलसिले में शनिवार को धूप खिली, लेकिन हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज में ओलावृष्टि और शिमला में हल्की बूंदाबांदी हुई। प्रदेश में चार राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा 480 सड़कें बंद हैं, और 2001 ट्रांसफार्मरों के खराब होने के कारण बिजली आपूर्ति भी बाधित है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर यह है कि ला-नीना का असर केवल गर्मी पर नहीं, बल्कि बारिश के मौसम पर भी देखा जा सकता है। मौसम विज्ञानियों का अनुमान है कि इस बार मानसून में अच्छी वर्षा हो सकती है, और यह ला-नीना की स्थिति के कारण है। हालांकि, समय के साथ ला-नीना धीरे-धीरे कमजोर पड़ सकता है, और मानसून के आगमन से पहले यह निष्पक्ष (न्यूट्रल) हो सकता है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि इस वर्ष जून से सितंबर तक प्रशांत महासागर में अलनीनो की स्थिति बनने के कोई संकेत नहीं हैं।
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