Abhishek Manu Singhvi Attacks BJP:कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के हालिया इस्तीफे को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP)पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इसे “संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव और नैरेटिव कंट्रोल करने की कोशिश” करार दिया है। वहीं सिंघवी ने आरोप लगाया कि बीजेपी सिर्फ अपनी बात को आगे बढ़ाना चाहती है और जब उसे कोई दूसरा नैरेटिव टक्कर देता है, तो वह “बौखला” जाती है।
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धनखड़ के इस्तीफे पर उठे सवाल

सिंघवी ने कहा कि उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ कुछ समय पहले तक संसद में न्यायपालिका पर मुखर होकर बयान दे रहे थे। उन्होंने न्यायपालिका और संसद के बीच समन्वय की बात करते हुए यह सुझाव दिया था कि यदि लोकसभा और राज्यसभा में कोई समान प्रस्ताव आता है, तो दोनों सदनों के अध्यक्ष एक संयुक्त समिति बना सकते हैं।लेकिन, सिंघवी के अनुसार, ऐसा बयान देने के कुछ ही समय बाद उनका इस्तीफा सामने आ गया, जो अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। न तो धनखड़ ने कोई राजनीतिक वजह बताई, न ही संवैधानिक आधार का जिक्र किया।
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“बीजेपी सिर्फ नैरेटिव चाहती है” – सिंघवी
सिंघवी ने कहा, “बीजेपी को केवल नैरेटिव की चिंता है। अगर उनसे नैरेटिव छीन लिया जाए तो वे बौखला जाते हैं। उनकी रणनीति लोकतंत्र के मूल विचार से नहीं, बल्कि सत्ता पर पकड़ बनाए रखने से जुड़ी है।”उन्होंने दावा किया कि यह इस्तीफा संवैधानिक संस्थाओं को दबाने और “नियंत्रित लोकतंत्र” की दिशा में एक और कदम है।
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राज्यसभा में क्या हुआ था?
सिंघवी ने बताया कि राज्यसभा में न्यायपालिका की स्वायत्तता को लेकर जब सवाल पूछे गए तो कानून मंत्री की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया। सिंघवी ने कहा, “जब सरकार से न्यायपालिका की आलोचना पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो या तो चुप्पी रही या गोलमोल जवाब।”
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BJP पर दोहरे रवैये का आरोप
सिंघवी ने बीजेपी पर दोहरे रवैये का आरोप लगाते हुए कहा, “एक तरफ तो बीजेपी कहती है कि न्यायपालिका स्वतंत्र है, दूसरी ओर जब वही न्यायपालिका सरकार के फैसलों की आलोचना करती है, तो उसे लोकतंत्र विरोधी बता दिया जाता है। यह रवैया अब जनता की नजरों से छिपा नहीं है।”

