African Cheetah: केंद्र सरकार एक बार फिर अफ्रीका से 8 से 10 नए चीतों को भारत लाने की योजना पर काम कर रही है। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी “चीता पुनर्वास परियोजना” को और आगे बढ़ाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। जानकारी के मुताबिक दिसंबर 2025 तक ये चीते भारत पहुंच सकते हैं।
तीन अफ्रीकी देशों से बातचीत जारी
पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, सरकार केन्या, बोत्सवाना और नामीबिया जैसे अफ्रीकी देशों के साथ बातचीत कर रही है। इन देशों के वन्यजीव विभागों से सहमति मिलने के बाद चीतों को भारत लाया जाएगा। यह कदम भारत में जैव विविधता को समृद्ध करने और विलुप्त हो चुके प्रजातियों की पुनर्स्थापना के प्रयासों का हिस्सा है।
इस बार कहां छोड़े जाएंगे चीते?
इस बार सरकार चीतों के लिए तीन नए ठिकानों की तैयारी कर रही है:गांधीनगर (गुजरात): यहाँ पर विशेष बाड़ों और अनुकूल पर्यावरण तैयार किया गया है।कुनो राष्ट्रीय उद्यान (मध्य प्रदेश): पहले से मौजूद चीतों के अनुभव के आधार पर यहां की सुविधाओं को और उन्नत किया गया है।बन्नी ग्रासलैंड (कच्छ, गुजरात): केन्या से आने वाले चीतों के लिए यह इलाका उपयुक्त माना जा रहा है। यह पहली बार होगा जब बन्नी में चीतों को छोड़ा जाएगा। इन सभी स्थानों पर चीतों के लिए विशेष प्रशिक्षण, निगरानी प्रणाली और रेडियो कॉलर से ट्रैकिंग की व्यवस्था की जा रही है ताकि पहले जैसी समस्याएं दोहराई न जाएं।
पिछली परियोजना से मिले मिश्रित अनुभव
2022-23 में जब भारत ने नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीते मंगवाए थे, तो यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना था। कुनो राष्ट्रीय उद्यान में इन चीतों को छोड़ने का कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद लॉन्च किया था। हालांकि, कुछ महीनों बाद चीतों की असामयिक मृत्यु और रेडियो कॉलर से संक्रमण के मामलों ने परियोजना पर सवाल खड़े कर दिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांगा था। इन घटनाओं के बाद वन विभाग और चीता संचालन समिति ने परियोजना के अगले चरण में अतिरिक्त सावधानी बरतने का निर्णय लिया है।
सरकार का दो-टूक रुख
विवादों के बावजूद, सरकार का कहना है कि भारत में चीतों की स्थायी वापसी एक दीर्घकालिक परियोजना है और कुछ शुरुआती चुनौतियों से पीछे नहीं हटा जाएगा। नए चीतों के साथ बेहतर बुनियादी ढांचा, वैज्ञानिक निगरानी और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जाएगा। भारत में विलुप्त हो चुके चीतों की वापसी एक ऐतिहासिक और महत्वाकांक्षी पर्यावरणीय प्रयास है। आने वाले महीनों में गांधीनगर, कुनो और बन्नी जैसे क्षेत्र भारत में चीतों के लिए नई पहचान बन सकते हैं। इस बार की योजना पहले से कहीं ज्यादा सतर्क, रणनीतिक और वैज्ञानिक आधार पर आधारित होगी।

