Afshan Ansari Property: बाहुबली और दिवंगत विधायक मुख्तार अंसारी के परिवार की दिक्कतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। ताज़ा मामले में मऊ की गैंगस्टर कोर्ट ने उनकी फरार पत्नी अफशा अंसारी से जुड़ी करोड़ों की संपत्ति की कुर्की को पूरी तरह वैध करार दिया है। यह कुर्की मऊ के जिलाधिकारी द्वारा आदेशित की गई थी, जिस पर कोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह संपत्ति अपराध से जुटाए गए अवैध धन का परिणाम है।
Afshan Ansari Property: कोर्ट ने जिलाधिकारी के आदेश को सही ठहराया
जिला मऊ में गैंगस्टर मामलों की सुनवाई कर रही विशेष न्यायाधीश राजीव कुमार वत्स की अदालत ने इस मामले में विस्तृत सुनवाई की। अदालत ने पाया कि प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई उचित थी और जिलाधिकारी द्वारा पारित कुर्की आदेश विधिसम्मत तथा पूरी तरह प्रमाणित है। कोर्ट का यह फैसला मुख्तार अंसारी परिवार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
Afshan Ansari Property: लोक अभियोजक ने प्रस्तुत किए ठोस साक्ष्य
राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक (गैंगस्टर एक्ट) कृष्ण शरण सिंह ने अदालत के समक्ष विस्तृत साक्ष्य और पत्रावलियाँ प्रस्तुत कीं। उन्होंने बताया कि अफशा अंसारी द्वारा खरीदी गई भूमि और संपत्ति की खरीद में उपयोग किया गया धन अपराध, धमकी, उगाही और अन्य अवैध गतिविधियों से अर्जित किया गया था। अभियोजन द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज इतने प्रबल थे कि अदालत ने भी माना कि संपत्ति का स्रोत पूरी तरह अवैध है।
अफशा अंसारी और अन्य आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा
यह मामला थाना दक्षिण टोला, मऊ से संबंधित है, जहाँ गैंग लीडर के रूप में चिह्नित अफशा अंसारी सहित कई अन्य व्यक्तियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस विवेचना के दौरान सामने आया कि अफशा के नाम लगभग ₹3.36 करोड़ मूल्य की संपत्ति मौजूद है, जिसे वह वैध आय के माध्यम से साबित नहीं कर सकीं। जांच के बाद प्रशासन ने निर्धारित प्रक्रिया द्वारा इस संपत्ति को कुर्क कर लिया।
कुर्क संपत्ति की प्रकृति पर कोर्ट की स्पष्ट टिप्पणी
अदालत ने यह भी कहा कि कुर्क की गई संपत्ति की खरीद का कोई वैध व्यवसायिक या कानूनी स्रोत नहीं मिला। जांच और दस्तावेजों के आधार पर यह सिद्ध हुआ कि यह सम्पत्ति अपराध से कमाए गए धन से ही अर्जित की गई थी। ऐसे में गैंगस्टर एक्ट के प्रावधानों के अनुसार इसे कुर्क करना पूरी तरह कानूनी व न्यायोचित है।जिलाधिकारी मऊ द्वारा कुर्की का आदेश अदालत में भेजा गया था ताकि उसे विधिक स्वीकृति मिल सके। कोर्ट ने सभी अभिलेखों, गवाही और दोनों पक्षों के तर्कों का परीक्षण करने के बाद यह निष्कर्ष दिया कि जिलाधिकारी ने कानून के दायरे में रहकर ही कार्रवाई की थी। इसलिए, कुर्की आदेश को वैध, उचित और अंतिम रूप से प्रमाणित कर दिया गया।
प्रशासनिक कार्रवाई को मिली कानूनी मजबूती
इस फैसले के बाद प्रशासन को बड़ी कानूनी राहत मिली है, क्योंकि लंबे समय से यह कार्रवाई अदालत की पुष्टि का इंतजार कर रही थी। अब कुर्की की प्रक्रिया अंतिम रूप से मान्य होने के बाद अवैध संपत्ति के खिलाफ की गई सरकारी कार्रवाई मजबूत हो गई है। दूसरी ओर, मुख्तार अंसारी का परिवार एक और बड़े कानूनी संकट में घिर गया है।
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