जर्मनी के बाद अमेरिका को भी भारत का दो-टूक जवाब,विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राजनयिक को भी किया तलब

Mona Jha

Chief Minister Arvind Kejriwal: दिल्ली शराब नीति में कथित घोटाला मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने कुछ दिनों पहले गिरफ्तार किया था.जिसको लेकर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता दिल्ली से लेकर पंजाब तक मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.केजरीवाल की गिरफ्तारी की गूंज अब अमेरिका से लेकर जर्मनी तक पहुंच गई है.अमेरिका ने भारत के आंतरिक मामले में टांग अड़ाने की कोशिश शुरू कर दी,इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने बुधवार को भारत में अमेरिका के कार्यवाहक मिशन उप प्रमुख ग्लोरिया बर्बेना को तलब किया है.जिसमें भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों और अमेरिकी डिप्लोमैट के बीच करीब 40 मिनट तक बातचीत हुई है…

इसको लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल की ओर से जारी बयान में कहा गया कि, भारत में कुछ कानूनी कार्यवाहियों के बारे में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता की टिप्पणियों पर हम कड़ी आपत्ति जताते हैं।कूटनीति में किसी भी देश से दूसरे देशों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की अपेक्षा की जाती है,अगर मामला सहयोगी लोकतांत्रिक देशों का हो तो ये जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है.ऐसा ना होने पर गलत उदाहरण पेश होते हैं.भारत की कानूनी प्रक्रियाएं एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं जो ऑब्जेक्टिव और समय पर फैसलों के लिए प्रतिबद्ध है.भारतीय न्यायपालिका पर आरोप लगाना अनुचित है।

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क्या था अमेरिका का बयान?

अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर कहा था कि, केजरीवाल की गिरफ्तारी पर हम अपनी पैनी नजर गड़ाए हुए हैं.हम निष्पपक्ष, समयबद्ध और पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया के लिए वहां की सरकार को प्रोत्सामहित करते हैं.आपको बता दें कि,आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के सीएम केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और अभी वो 28 मार्च तक ईडी की हिरासत में हैं।

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जर्मनी के बयान पर भी जताई नाराजगी

अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मन विदेश मंत्रालय की ओर से की गई टिप्पणी पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया था.जर्मनी के राजदूत जॉर्ज एनजवीलर को तलब करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि,हम ऐसी टिप्पणियों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने के रूप में देखते हैं. भारत कानून के शासन वाला एक जीवंत और मजबूत लोकतंत्र है.जिस तरह भारत और अन्य लोकतांत्रिक देशों में कानून अपना काम करता है,इस मामले में भी कानून अपना काम करेगा,मामले में पक्षपातपूर्ण धारणाएं बनाना अनुचित है।

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