Ahemdabad Plane Crash: गुरुवार 12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भर रहा एयर इंडिया का विमान दोपहर में टेकऑफ के कुछ ही देर बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। पुलिस कमिश्नर जीएस मलिक केल मुताबिक, विमान में सवार सभी 242 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मौत हो गई।
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का एक विमान हादसे में निधन हो गया। हादसा अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास हुआ जब एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर लंदन के लिए उड़ान भर रहा था। टेकऑफ के दौरान एयरपोर्ट की बाउंड्री के पास जोरदार धमाका हुआ, जिसमें विमान क्षतिग्रस्त हो गया। रूपाणी विमान की पैसेंजर लिस्ट में यात्री संख्या 12 पर थे। उनके साथ कुल 241 यात्री सवार थे।
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पुलिस कमिश्नर का बयान
पुलिस कमिश्नर जीएस मलिक ने बताया कि विमान दुर्घटना इतनी भयंकर थी कि उसमें सवार कोई भी जीवित नहीं बचा। उन्होंने कहा कि विमान आवासीय क्षेत्र में गिरा है, इसलिए दुर्घटना में कुछ स्थानीय लोग भी मारे गए हो सकते हैं। इस हादसे ने इलाके में भारी तबाही मचाई है।
कोरोना काल में मुख्यमंत्री थे रुपाणी
आपको बता दे कि, कोविड-19 महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान विजय रूपाणी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उनके लॉकडाउन निर्णयों को लेकर एक ओर जहां उनकी सराहना हुई, वहीं दूसरी ओर राज्य की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के कारण उन्हें आलोचना का सामना भी करना पड़ा। कई सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी और मौतों का सही आंकड़ा न देने की शिकायतों ने लोगों का गुस्सा बढ़ा दिया था।
साल 2016 में बने मुख्यमंत्री
वर्ष 2016 में भाजपा ने आनंदीबेन पटेल की जगह विजय रूपाणी को गुजरात का मुख्यमंत्री नियुक्त किया। यह निर्णय कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था क्योंकि रूपाणी न तो पाटीदार समाज से थे और न ही जनता के बीच उतने लोकप्रिय थे। उस समय पाटीदार आंदोलन जोरों पर था और माना जा रहा था कि किसी पाटीदार नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन पार्टी ने रूपाणी को चुना।
अमित शाह के करीबी माने जाते थे रूपाणी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विजय रूपाणी जैन समाज से आते हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के करीबी रहे हैं। इसी कारण उनके मुख्यमंत्री बनने के फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी मंजूरी मिल गई थी। आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद भाजपा ने संतुलन साधते हुए रूपाणी को जिम्मेदारी सौंपी थी। विजय रूपाणी का इस दुखद विमान हादसे में निधन न केवल गुजरात बल्कि पूरे देश की राजनीति के लिए एक बड़ा झटका है। एक अनुभवी राजनेता के रूप में उन्होंने कई कठिन परिस्थितियों में राज्य का नेतृत्व किया। उनके जाने से एक राजनीतिक युग का अंत हो गया है।