Air India Plane Crash: हाल ही में अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना के बाद भारत सरकार ने एअर इंडिया को लेकर सख्त रुख अपना लिया है। सरकार ने सीधे तौर पर एयरलाइन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए “बैकसीट ड्राइविंग” की संस्कृति को तत्काल समाप्त करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश टाटा संस और एअर इंडिया के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक में दिए गए।
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बैठक में दो अहम निर्देश
बैठक के दौरान नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने दो बड़े और स्पष्ट संदेश दिए:सुरक्षा से सीधे जुड़े विभागों में ‘बैकसीट ड्राइविंग’ (पर्दे के पीछे से फैसले लेना) की प्रथा को तुरंत खत्म किया जाए। सरकार का मानना है कि इस तरह का कल्चर विमानन क्षेत्र में गंभीर जोखिम पैदा करता है। कोई और व्यक्ति निर्णय लेता है, लेकिन जब गलती होती है, तो जिम्मेदारी सीट पर बैठे अधिकारी पर डाल दी जाती है।

यह मॉडल न केवल अनुचित है, बल्कि सुरक्षा मानकों के लिए भी घातक है।प्रमुख पदों पर बैठे अधिकारियों को पूर्ण निर्णयात्मक अधिकार दिया जाए। किसी भी विभाग में अगर जिम्मेदारी दी गई है, तो निर्णय लेने का अधिकार भी होना चाहिए। जिम्मेदारी और अधिकार के बीच संतुलन नहीं होगा तो न केवल दक्षता घटेगी, बल्कि संकट के समय जवाबदेही भी तय नहीं हो पाएगी।
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एअर इंडिया मैनेजमेंट पर बढ़ा दबाव

बैठक में एअर इंडिया मैनेजमेंट से स्पष्ट रूप से कहा गया कि अब बदलाव केवल कागजों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि मैदान पर दिखना चाहिए। सरकार ने स्पष्ट किया कि ऐसी कार्यशैली, जहां फैसले बाहर से होते हैं लेकिन जवाबदेही किसी और की होती है, अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।सूत्रों के अनुसार, यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब एअर इंडिया कई मामलों में संचालन से जुड़े गंभीर सवालों के घेरे में है। अहमदाबाद विमान हादसे के बाद यह मुद्दा और ज़्यादा गंभीर हो गया।
‘बैकसीट ड्राइविंग’ क्यों खतरनाक है?
‘बैकसीट ड्राइविंग’ का तात्पर्य उस स्थिति से है जब कोई व्यक्ति सामने बैठा अधिकारी न होकर, पर्दे के पीछे से फैसले ले रहा होता है। इससे न केवल जिम्मेदारी का भ्रम पैदा होता है, बल्कि निर्णयों की गुणवत्ता और गति पर भी असर पड़ता है। विमानन जैसे संवेदनशील क्षेत्र में यह संस्कृति सीधे यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है।