Air Pollution: गाजियाबाद रहा टॉप पर, ग्रेटर नोएडा समेत कई शहरों का AQI चिंताजनक

उत्तर प्रदेश में ठंड बढ़ने के साथ वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है। नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, बागपत और मेरठ जैसे शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 से ऊपर दर्ज किया गया है, जो गंभीर श्रेणी में आता है। जहरीली हवा के कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है और फिलहाल राहत की संभावना कम दिख रही है।

Nivedita Kasaudhan
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गाजियाबाद रहा टॉप पर

Air Pollution: उत्तर प्रदेश में सर्दी बढ़ने के साथ ही वायु प्रदूषण ने लोगों की जिंदगी मुश्किल बना दी है। सांस लेना कठिन हो गया है और कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर श्रेणी में पहुँच गया है। 21 नवंबर को गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ और हापुड़ जैसे शहरों में प्रदूषण का स्तर 400 से ऊपर दर्ज किया गया।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार गाजियाबाद का लोनी इलाका सबसे प्रदूषित रहा, जहाँ AQI 469 तक पहुँच गया। यह स्तर गंभीर श्रेणी में आता है और स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। गाजियाबाद के अन्य क्षेत्रों में भी हालात चिंताजनक रहे—संजय नगर में AQI 443 और इंदिरापुरम में 413 दर्ज किया गया।

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नोएडा और ग्रेटर नोएडा में गंभीर हालात

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गाजियाबाद रहा टॉप पर

नोएडा में भी प्रदूषण का स्तर लगातार गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। सेक्टर-125 में AQI 437, सेक्टर-116 में 431 और सेक्टर-1 में 400 दर्ज किया गया। वहीं ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-फाइव में AQI 433 तक पहुँच गया। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि नोएडा-गाजियाबाद क्षेत्र में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब है।

मेरठ, हापुड़ और बागपत में भी जहरीली हवा

दिल्ली से सटे मेरठ में भी प्रदूषण का असर लगातार देखा जा रहा है। पल्लवपुरम इलाके में AQI 424 दर्ज किया गया। हापुड़ में यह स्तर 417 और बागपत में 383 रहा। हालांकि बागपत का स्तर अपेक्षाकृत कम है, लेकिन यह भी खराब श्रेणी में आता है।

दिन में भी धुंध और प्रदूषण की परत

प्रदूषण का असर अब केवल सुबह और शाम तक सीमित नहीं रहा। दिन के समय भी वातावरण में धुंध और धुएं की परत बनी हुई है। सूरज की रोशनी हल्की हो गई है और आसमान धुंधला दिखाई देता है। यह स्थिति बताती है कि प्रदूषण अब सामान्य जीवन को प्रभावित कर रहा है।

मौसम विभाग की चेतावनी

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मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में कोहरा और शीतलहर का असर बढ़ेगा। ठंड के साथ कोहरे की वजह से हवा में मौजूद धूल और धुएं के कण वातावरण में लंबे समय तक बने रहेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश होने के बाद ही प्रदूषण से राहत मिल सकती है।

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