Akhilesh vs EC: उत्तर प्रदेश में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों से पहले राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का इस्तेमाल कर मतदाता सूची से डुप्लीकेट वोटरों को हटाया जाए। इसके तहत जिन मतदाताओं के नाम एक से अधिक ग्राम पंचायतों में दर्ज हैं, उन्हें सूची से बाहर किया जाएगा। बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) को घर-घर जाकर मतदाताओं का भौतिक सत्यापन करने के निर्देश दिए गए हैं।
सवा करोड़ वोटर हटाने की तैयारी
इस प्रक्रिया के तहत राज्य भर से करीब सवा करोड़ डुप्लीकेट मतदाताओं को हटाए जाने की संभावना जताई जा रही है। जिलाधिकारियों को डेटा संग्रहण का काम शीघ्र पूरा करने को कहा गया है, ताकि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित किए जा सकें। आयोग की यह पहल तकनीकी के बेहतर उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
अखिलेश यादव का चुनाव आयोग पर हमला
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग की मंशा पर ही शक जताया है। उन्होंने आयोग पर तंज कसते हुए कहा कि जब वह एआई के माध्यम से सवा करोड़ डुप्लीकेट वोटरों को पकड़ सकता है, तो समाजवादी पार्टी द्वारा दिए गए 18,000 हलफनामों में से सिर्फ 14 का ही जवाब क्यों दिया गया?
“जवाब दो 17,986 एफिडेविट्स का” – अखिलेश
अखिलेश यादव ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “जब जुगाड़ आयोग AI से सवा करोड़ का अपना घपला पकड़ सकता है, तो फिर हमारे द्वारा दिए गए 18,000 में से केवल 14 एफिडेविट्स का जवाब देने के बाद बचे 17,986 एफिडेविट्स का क्यों नहीं?” सपा प्रमुख के इस बयान ने चुनावी हलकों में गर्मी ला दी है।
2022 के चुनावों में साज़िश के आरोप
अखिलेश यादव ने दावा किया कि 2022 के विधानसभा चुनावों में कई मतदाताओं के नाम साज़िश के तहत वोटर लिस्ट से हटाए गए थे। उनका आरोप है कि बीजेपी, चुनाव आयोग और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच सांठगांठ थी, जिसकी वजह से मतदाता सूची में गड़बड़ी की गई। सपा की ओर से चुनाव आयोग को 18,000 हलफनामे सौंपे गए थे, लेकिन आयोग ने केवल 14 का ही “आंशिक और आधारहीन” जवाब दिया।
बिहार के मुद्दे से जुड़ा यूपी का मामला
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब बिहार में SIR प्रक्रिया और वोट चोरी के आरोपों को लेकर विपक्षी दल पहले से ही आक्रामक हैं। उत्तर प्रदेश में भी अब यही मुद्दा उभरता नजर आ रहा है। अखिलेश यादव के आरोपों ने राज्य चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
चुनावी निष्पक्षता पर छिड़ी बहस
एआई जैसी तकनीक का चुनावी प्रक्रिया में इस्तेमाल एक तरफ पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में कदम माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे राजनीतिक हथियार बनाए जाने का आरोप लगा रहा है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आयोग इन आरोपों का क्या जवाब देता है और 2025 के पंचायत चुनावों में निष्पक्षता सुनिश्चित कर पाता है या नहीं।
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