Amarnath Yatra : उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर हादसे के बाद अमरनाथ यात्रा को मंगलवार को सुरक्षा बैठक हुई। उस बैठक में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया। राज्यपाल के निर्देशानुसार इस साल अमरनाथ यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवा नहीं होगी। साथ ही तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मार्ग को ‘नो फ्लाई जोन’ घोषित कर दिया गया है।
अमरनाथ यात्रा में ‘ऑपरेशन शिव’
अमरनाथ यात्रा के दौरान हर बार सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं। इस बार पहलगाम हमले और उसके बाद भारत-पाकिस्तान जंग के मद्देनजर सुरक्षा को कई गुना बढ़ाया जा रहा है। इस बार आतंकी हमलों से बचने के लिए केंद्र तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था कर रहा है। जिसे ‘ऑपरेशन शिव’ नाम दिया गया है। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए यात्रा मार्ग पर अभूतपूर्व तरीके से 50,000 से अधिक जवानों को तैनात किया जा रहा है। साथ ही हवा में जोखिम से बचने के लिए इस साल हेलीकॉप्टर सेवाएं रद्द कर दी गई हैं। श्री अमरनाथ बोर्ड के अधिकारियों ने कहा है कि श्रद्धालु दक्षिण कश्मीर के पहलगाम और उत्तर कश्मीर के बालटाल दोनों मार्गों से पवित्र गुफा और मंदिर तक पहुंच सकेंगे।
1 जुलाई से 10 अगस्त तक ‘नो-फ्लाई’ जोन घोषित
तीर्थयात्रा पैदल या पालकी पर सवार होकर जा सकेंगे। मंगलवार को हाई-प्रोफाइल सुरक्षा बैठक में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, जम्मू-कश्मीर आईबी प्रमुख अटल डुल्लू, डीजीपी नलिन प्रभात, सेना प्रमुख प्रशांत श्रीवास्तव और अन्य मौजूद थे। बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने आगामी तीर्थयात्रा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमरनाथ यात्रा मार्ग को 1 जुलाई से 10 अगस्त तक ‘नो-फ्लाई’ जोन घोषित कर दिया। गौरतलब है कि अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो रही है और 9 अगस्त तक चलेगी। हर साल लाखों श्रद्धालु 3880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बर्फ से ढके शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं। इस साल तीर्थयात्री 37 दिनों तक अमरनाथ दर्शन के लिए जा सकेंगे। यात्रा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया 14 अप्रैल से शुरू हो गई थी। प्राकृतिक आपदाओं और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, प्रतिदिन अधिकतम 15,000 तीर्थयात्रियों को अमरनाथ धाम की यात्रा की अनुमति दी जाती है।
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