Amarnath Yatra भारी बारिश के कारण एक सप्ताह पहले रोकी गई, अब तक 4.10 लाख श्रद्धालु कर चुके हैं दर्शन

Chandan Das

Amarnath Yatra : भारी बारिश के चलते तय समय से एक सप्ताह पहले ही अमरनाथ यात्रा तो रोक दिया गया है। यह यात्रा 9 अगस्त तक प्रस्तावित थी लेकिन 3 अगस्त को ही प्रशासन ने इसे बंद करने का निर्णय लिया है। इसके पीछे मुख्य कारण दोनों प्रमुख मार्गों-बालटाल और पहलगाम-पर भारी बारिस से हुए नुकसान को बताया गया है। यात्रा को बीच में रोकना एक कठिन निर्णय था। लेकिन श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई। कश्मीर के डिविजनल कमिश्नर विजय कुमार बिधूड़ी ने बताया कि भारी बारिश से यात्रा मार्गों को काफी नुकसान पहुंचा है। बालटाल और पहलगाम दोनों ही रास्तों पर भूस्खलन और टूट-फूट की स्थिति बनी हुई है। मरम्मत कार्य के चलते इन मार्गों पर मशीनरी और श्रमिकों की निरंतर तैनाती की जा रही है, जिससे यात्रा फिर से शुरू करना अब संभव नहीं रह गया है।

इस वर्ष 4.10 लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन

अमरनाथ यात्रा इस साल 3 जुलाई को आरंभ हुई थी और रक्षाबंधन के दिन यानी 9 अगस्त तक चलनी थी। हालांकि, 3 अगस्त को इसे समय से पहले रोक दिया गया। इस बार अब तक कुल 4.10 लाख श्रद्धालु पवित्र अमरनाथ गुफा में भगवान शिव के दर्शन कर चुके हैं। यह संख्या भले ही बड़ी हो, लेकिन पिछले साल के मुकाबले इसमें गिरावट देखी गई है। 2023 में अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या 5.10 लाख से अधिक रही थी, जो इस बार घटकर 4.10 लाख पर आ गई है। बारिश, मौसम की अनिश्चितता और मार्गों की स्थिति इस गिरावट के संभावित कारण माने जा रहे हैं। साथ ही प्रशासन द्वारा सावधानीपूर्वक यात्रा प्रबंधन के चलते भी कई बार रोक-टोक और नियंत्रण देखने को मिला।

यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि

प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान स्थिति में यात्रा को फिर से शुरू करना संभव नहीं है। सुरक्षा और मार्ग की स्थिति को देखते हुए यही निर्णय उचित माना गया। अधिकारियों ने बताया कि मशीनों और मरम्मत कर्मियों की भारी तैनाती के कारण इन रास्तों को श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोलना असंभव है। बारिश से क्षतिग्रस्त पहाड़ी मार्गों पर यात्रा कराना जोखिम भरा हो सकता था। हालांकि अमरनाथ यात्रा समय से पहले समाप्त हो गई है, लेकिन अब तक लाखों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर अपनी आस्था को पूर्ण किया है। प्रशासन द्वारा सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह निर्णय लिया गया, जिससे किसी भी संभावित हादसे को टाला जा सका। अब श्रद्धालुओं को अगली बार यात्रा में भाग लेने के लिए अगले वर्ष तक इंतजार करना होगा।

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