Amit Malviya का पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों पर तीखा हमला, वोटर लिस्ट और नेपाल के मुद्दे पर उठाए सवाल

Chandan Das
Amit IT Sell

Amit Malviya : बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी, ओ.पी. रावत और पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इन अधिकारियों पर वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों को नजरअंदाज करने और नेपाल में सरकार परिवर्तन के समर्थन को लेकर सवाल उठाए हैं।

नेपाल पर कुरैशी की टिप्पणी पर भड़के मालवीय

अमित मालवीय ने एस.वाई. कुरैशी के उस बयान की आलोचना की है, जिसमें उन्होंने नेपाल में हालिया घटनाओं को ‘जीवंत लोकतंत्र’ का संकेत बताया था। मालवीय ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कुरैशी के इंटरव्यू की क्लिप साझा करते हुए लिखा “पूर्व CEC एस.वाई. कुरैशी ने नेपाल की घटनाओं को ‘वाइब्रेंट डेमोक्रेसी’ कहा है, न कि अराजकता। लेकिन उनका रिकॉर्ड देखते हुए यह गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी कोई नई बात नहीं है।” उन्होंने आरोप लगाया कि कुरैशी के कार्यकाल में चुनाव आयोग ने अंतरराष्ट्रीय संस्था IFES के साथ एक एमओयू साइन किया था, जो जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जुड़ा हुआ है। मालवीय ने कहा कि यह संस्था कांग्रेस और गांधी परिवार की करीबी मानी जाती है।

यूपी चुनाव का किस्सा और सवाल

एक अन्य क्लिप में कुरैशी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में एक चुनाव के दौरान ईसी ने मतदान अधिकारियों को स्थानांतरित, मृत या अनुपस्थित मतदाताओं की सूची (SAD voters) दी थी, जिससे बोगस वोटिंग को रोका जा सका। उन्होंने यह भी कहा कि एक राजनेता ने निजी तौर पर यह स्वीकार किया था कि चुनाव आयोग ने उनके द्वारा भेजे गए फर्जी वोटरों को रोक दिया। इस पर अमित मालवीय ने सवाल उठाते हुए पूछा “जब कुरैशी को SAD वोटरों की जानकारी थी, तो उन्होंने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का आदेश क्यों नहीं दिया? 2006 से 2012 तक चुनाव आयोग में रहते हुए यह उनका संवैधानिक कर्तव्य था।” उन्होंने यह भी पूछा कि कुरैशी ने उस नेता का नाम क्यों नहीं उजागर किया, जो फर्जी वोटिंग की योजना बना रहा था, खासकर जब उस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी।

राहुल गांधी के आरोपों के बाद उठा मामला

मालवीय का यह हमला ऐसे समय में आया है जब तीनों पूर्व चुनाव अधिकारियों ने राहुल गांधी द्वारा लगाए गए मतदाता पंजीकरण में धांधली और बिहार में दस्तावेज आधारित SIR प्रक्रिया की आलोचना पर चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए थे। अमित मालवीय के आरोप एक बार फिर इस बहस को हवा दे रहे हैं कि चुनाव आयोग की स्वायत्तता और पारदर्शिता को लेकर पूर्व और वर्तमान अधिकारियों के बीच कैसे मतभेद हैं। वोटर लिस्ट की शुद्धता, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से साझेदारी और चुनावी प्रक्रियाओं की निष्पक्षता जैसे विषय आने वाले समय में राजनीतिक और संवैधानिक बहस का केंद्र बन सकते हैं।

Read More : Vishwakarma Puja 2025: इस कथा के बिना अधूरी है विश्वकर्मा पूजा, पढ़ें पौराणिक कथा

Share This Article

अपना शहर चुनें

Exit mobile version