Amit Shah Angry: लोकसभा में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर चल रही चर्चा के दौरान उस समय तनाव बढ़ गया जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर के जवाब को विपक्ष ने बीच में टोका। यह चर्चा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भाषण के बाद शुरू हुई थी, जिसमें सरकार ने ऑपरेशन की सफलता का ब्योरा दिया। चर्चा के क्रम में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और अन्य नेताओं ने तीखे सवाल उठाए।
एस. जयशंकर के बयान के बीच विपक्ष की दखलअंदाज़ी
जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर सदन में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रणनीति और विदेश नीति से जुड़े पक्षों को स्पष्ट कर रहे थे, उसी दौरान विपक्षी सांसदों ने लगातार टोका-टोकी शुरू कर दी। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार कुछ तथ्यों को स्पष्ट क्यों नहीं कर रही है और हमलों से पहले की सूचनाओं को क्यों छुपाया गया।
अमित शाह का पलटवार
गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष की टिप्पणी पर सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,“मुझे आपत्ति है कि भारत में शपथ लिया हुआ विदेश मंत्री जब संसद में जवाब दे रहा है, तो उस पर भरोसा नहीं किया जा रहा। क्या इन्हें किसी और देश के विदेश मंत्री पर भरोसा है?” शाह ने विपक्ष की विदेश नीति को निशाने पर लेते हुए कहा कि यह उनकी “विदेश को ज़्यादा महत्व देने वाली सोच” को दर्शाता है।
शाह बोले – “20 साल तक वहीं बैठे रहेंगे”
अमित शाह ने विपक्ष पर राजनीतिक कटाक्ष करते हुए कहा, “वे (एस. जयशंकर) एक जिम्मेदार व्यक्ति हैं। और इसलिए वे इस तरफ (सत्ता पक्ष) बैठे हैं। और आप 20 साल तक विपक्ष में ही बैठे रहेंगे।” इस बयान से सदन में ठहाके भी गूंजे, लेकिन विपक्ष ने नाराज़गी जताई।
जयशंकर ने फिर से अपनी बात रखी
अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद एस. जयशंकर ने अपनी बात को पूरा करते हुए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद, TRF (The Resistance Front) के खिलाफ कार्रवाई और भारत की सख्त कूटनीति पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने TRF को अमेरिका द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित कराने में अहम भूमिका निभाई है।
विपक्ष का आरोप
विपक्ष का कहना था कि सरकार पहलगाम हमले से पहले की एक रहस्यमयी घटना की जानकारी जनता से छिपा रही है और आतंकियों की घुसपैठ पर स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही। कांग्रेस, सपा और टीएमसी ने मिलकर सरकार से और पारदर्शिता की मांग की।
ऑपरेशन सिंदूर पर बहस ने लिया सियासी रंग
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस एक सुरक्षात्मक कार्रवाई से अधिक एक राजनीतिक अखाड़ा बन गई, जहां सरकार अपनी विदेश नीति और सैन्य कार्रवाई का बचाव कर रही है, तो विपक्ष पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा सदन में और गरमा सकता है।

