Amit Shah: राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा के दौरान विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी की मांग की। गृह मंत्री अमित शाह जैसे ही बोलने उठे, विपक्षी सांसदों ने हंगामा करते हुए कहा कि इतने गंभीर मुद्दे पर प्रधानमंत्री को सदन में आना चाहिए। इस पर शाह ने व्यंग्य करते हुए कहा, “PM ऑफिस में हैं, उन्हें ज्यादा सुनने का शौक नहीं है। मुझसे निपट रहा है, उन्हें क्यों बुला रहे हो?” विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जब प्रधानमंत्री दिल्ली में हैं, तो उनका सदन में न आना संसद और सांसदों का अपमान है। इसके बाद विपक्षी दलों ने एकजुट होकर राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया।
गृह मंत्री अमित का दावा
गृह मंत्री ने बताया कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले के बाद, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव के जरिए तीन आतंकियों को ढेर किया। शाह ने कहा, “सुलेमान, अफगान और जिबरान जैसे ए-ग्रेड लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी मारे गए। पहलगाम हमले में उन्हीं की राइफलें इस्तेमाल हुई थीं।” शाह ने बताया कि 22 मई को IB ने आतंकियों की लोकेशन दी थी, जिसके बाद 22 जुलाई को ऑपरेशन महादेव चलाया गया। उन्होंने कहा, “इत्तफाक देखिए, तीनों आतंकियों के सिर में गोली लगी। देशभर से लोग कहते थे कि आतंकियों को सिर में गोली मारिए, वो मांग अब पूरी हुई।”
शाह ने विपक्ष के आरोपों पर जवाब दिया
अमित शाह ने विपक्ष द्वारा 24 अप्रैल की बिहार रैली पर सवाल उठाने पर जवाब देते हुए कहा, “PM की सभा चुनावी नहीं थी। उन्होंने जो कहा था, वह एक-एक शब्द सच हुआ है। आतंकियों के आकाओं को छोड़ा नहीं गया।” अमित शाह ने बताया कि 22 अप्रैल को जैसे ही हमला हुआ, वह दोपहर 2:30 बजे श्रीनगर पहुंच गए। उन्होंने कहा, “वह दिन मेरी जिंदगी का सबसे भावुक दिन था। एक महिला, जिसकी 6 दिन पहले शादी हुई थी, विधवा हो गई। वो दृश्य मैं कभी नहीं भूल सकता।”
चिदंबरम और चव्हाण पर बरसे शाह
शाह ने कहा कि चिदंबरम जैसे नेता पूछ रहे हैं कि आतंकियों के पाकिस्तानी होने का क्या सबूत है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “आप किसको बचाना चाहते हैं, शर्म आनी चाहिए।” वहीं, पृथ्वीराज चव्हाण के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, “आप ऑपरेशन का नाम बदलवाना चाहते हैं? यह सिर्फ़ हिंदू-मुस्लिम चश्मे से चीज़ों को देखने वाली सोच है।” राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस सरकार की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक नीति और विपक्ष के तीखे विरोध के बीच जंग का मैदान बन गई। एक ओर शाह ने मिशन की रणनीति और सफलता को सामने रखा, तो दूसरी ओर विपक्ष ने राजनीतिक जवाबदेही पर सवाल उठाते हुए वॉकआउट कर दिया।