Andhra Pradesh: सड़क या खेत ! आंध्र प्रदेश में रोजाना 3 किलोमीटर कीचड़ से होकर यात्रा करते हैं छात्र

Chandan Das

Andhra Pradesh: आंध्र प्रदेश के पार्वतीपुरम मान्यम जिले से एक दिल दहला देने वाला वीडियो सामने आया है। जिसमें छोटे-छोटे स्कूली बच्चे घुटनों तक कीचड़ में फंसे हुए नजर आ रहा है। ये बच्चे रोजाना इसी रास्ते से स्कूल जाते हैं। सड़क की हालत इतनी खराब है कि यह किसी खेत जैसी लगती है और बरसात में यह और भी खतरनात हो जाती है।

शिक्षा का हिस्सा बनी 3 किलोमीटर कीचड़ भरी यात्रा

स्थानीय सूत्रों के मुताबिक ये छात्र तेलबू बालासा गांव से गोरजापदुर स्थित सरकारी स्कूल तक लगभग तीन किलोमिटर का सफर तय करते हैं। यह रास्ता पूरा कीचड़ भरा और असमतल है। बच्चों को हर रोज इसी रास्ते से स्कूल जाना होता है। चाहे बारिश हो या धूप। बरसात के मौसम में हालत और भी खराब हो जाती है। जब सड़क पानी और कीचड़ से पूरी तरह भर जाती है।

प्रशासन बेखबर

इस क्षेत्र के अधिकांश छात्र आदिवासी परिवारों से आते हैं, जिनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति पहले ही कमजोर है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बच्चों को हर दिन स्कूल पहुंचने के लिए जान जोखिम में डालनी पड़ती है। वे बताते हैं कि कई बार प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से सड़क की मरम्मत की गुहार लगाई गई है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

स्थानीय लोग बोले– शिक्षा की राह इतनी कठिन क्यों?

इलाके के एक निवासी ने सवाल उठाया, “क्या हमारे बच्चों को शिक्षा पाने के लिए इतना संघर्ष करना पड़ेगा?” उन्होंने यह भी कहा कि जब तक सड़कों की हालत नहीं सुधरेगी, तब तक शिक्षा तक पहुंच असंभव बनी रहेगी। एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “यह केवल सड़क नहीं, हमारे बच्चों का भविष्य है जो हर दिन कीचड़ में धँसता जा रहा है।”

पक्की सड़क की मांग तेज

स्थानीय लोगों की शिकायत है कि सरकार और प्रशासन केवल वादे करते हैं लेकिन जमीन पर कोई काम नहीं होता। वे अब पक्की सड़कों की मांग को लेकर एकजुट हो रहे हैं। उनका कहना है कि अगर जल्द ही सड़क की हालत में सुधार नहीं हुआ तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे। पार्वतीपुरम मान्यम ज़िले की यह स्थिति सरकार और प्रशासन की बुनियादी सुविधाओं के प्रति उदासीनता को उजागर करती है। जहाँ एक ओर ‘शिक्षा सबके लिए’ के नारे दिए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर इन बच्चों की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। यदि जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो यह केवल बच्चों की शिक्षा नहीं, बल्कि उनका भविष्य भी कीचड़ में फंस जाएगा।

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