Anil Ambani: रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी की कानूनी परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में उन्हें 14 नवंबर को पूछताछ के लिए पेश होने का निर्देश दिया है। यह मामला बैंक धोखाधड़ी से जुड़ा है। इससे पहले अगस्त में भी ईडी ने 66 वर्षीय कारोबारी से पूछताछ की थी।
7,500 करोड़ की संपत्ति कुर्क, जांच का दायरा बढ़ा
आपको बता दे कि, ईडी ने हाल ही में अंबानी समूह की कंपनियों के खिलाफ अपनी जांच के तहत 7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। रिपोर्टों के अनुसार, यह मामला रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसकी सहयोगी कंपनियों द्वारा 2010 से 2012 के बीच लिए गए ऋणों पर केंद्रित है। जांच एजेंसी के अनुसार, कुल बकाया राशि 40,185 करोड़ रुपये है, जिसमें से 19,694 करोड़ रुपये अब भी बकाया हैं।
पांच बैंकों ने लोन खातों को ‘फ्रॉड’ घोषित किया
ईडी का कहना है कि आरकॉम और उसकी समूह कंपनियों ने बैंकों से हजारों करोड़ रुपये जुटाए थे, जो अब NPA बन चुके हैं। पांच प्रमुख बैंकों ने इन लोन खातों को धोखाधड़ीपूर्ण घोषित कर दिया है। यह मामला अब गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की ओर इशारा करता है।
एडीएजी समूह की कंपनियों पर सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का आरोप
ईडी की जांच में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL), आरसीएफएल और रिलायंस पावर लिमिटेड जैसी एडीएजी समूह की कंपनियों द्वारा सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का खुलासा हुआ है। इन कंपनियों ने बैंकों से लिए गए ऋणों का उपयोग निर्धारित उद्देश्यों के बजाय अन्य तरीकों से किया।
फंड ट्रांसफर और ‘एवरग्रीन’ लोन की रणनीति उजागर
जांच में सामने आया है कि रिलायंस ग्रुप ने 13,600 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का उपयोग कथित रूप से कर्जों को ‘एवरग्रीन’ बनाए रखने के लिए किया। इसके अलावा, 12,600 करोड़ रुपये संबंधित कंपनियों को ट्रांसफर किए गए और 1,800 करोड़ रुपये फिक्स्ड डिपॉजिट या म्यूचुअल फंड में निवेश किए गए, जिन्हें बाद में भुनाकर दोबारा रूट किया गया।
