Canada’s Next PM:कनाडा (Canada)के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो(Justin Trudeau) ने 6 जनवरी, 2025 को पद छोड़ने की घोषणा की, जिसके बाद अनीता आनंद का नाम प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार के रूप में उभरा है। कनाडा के परिवहन मंत्री अनीता आनंद भारतीय मूल की नेता हैं और उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि और प्राथमिकताएं कनाडा और भारत के रिश्तों को एक नया आकार दे सकती हैं। यह विकास भारत के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि दोनों देशों के बीच व्यापार, आव्रजन और रक्षा जैसे मुद्दों पर नई दिशा मिल सकती है।
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कौन हैं अनीता आनंद?
अनीता आनंद कनाडा की प्रमुख राजनीतिज्ञ हैं, जो वर्तमान में परिवहन और आंतरिक व्यापार मंत्री के रूप में कार्य कर रही हैं। उनका जन्म नोवा स्कोटिया में हुआ था और उन्होंने ओंटारियो में अपना करियर और परिवार स्थापित किया। 2019 में, आनंद ने ओकविले से संसद सदस्य के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने सार्वजनिक सेवा और खरीद मंत्री, ट्रेजरी बोर्ड के अध्यक्ष और राष्ट्रीय रक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।

अनीता आनंद को प्रधानमंत्री के तौर पर कुछ विश्लेषकों द्वारा एक संभावित विकल्प माना जा रहा है। वे वर्तमान में अपने राजनीतिक अनुभव और नेतृत्व के लिए पहचानी जाती हैं। यदि वे प्रधानमंत्री बनती हैं, तो वे संभवतः चुनावों तक कार्यभार संभालेंगी।
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भारत के साथ संबंधों में संभावित बदलाव
अनीता आनंद के प्रधानमंत्री बनने के बाद, भारत के साथ कनाडा के रिश्तों में कई बदलाव हो सकते हैं। उनके भारतीय मूल को देखते हुए, वे भारत के साथ कूटनीतिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने के पक्ष में हो सकती हैं। इसके साथ ही, कनाडा-भारत व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए वे द्विपक्षीय समझौतों की दिशा में काम कर सकती हैं।
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आव्रजन और प्रवासी भारतीयों पर ध्यान

कनाडा में भारतीय मूल के नागरिकों की संख्या 1.8 मिलियन से अधिक है, और अनीता आनंद इस समुदाय के साथ बेहतर संपर्क बनाने का प्रयास कर सकती हैं। इसके अलावा, भारत से कनाडा जाने वाले आव्रजन मामलों का बैकलॉग भी उनके लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती हो सकता है, जिसे वे हल करने की दिशा में कदम उठा सकती हैं।
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भारत-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा सहयोग

अपने कार्यकाल के दौरान, अनीता आनंद ने कनाडा के रक्षा मंत्री के रूप में भारत के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री बनने के बाद, वे भारत के साथ रक्षा समझौतों को और अधिक सशक्त करने के प्रयास कर सकती हैं। इस तरह, उनके प्रधानमंत्री बनने से दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में भी मजबूती आ सकती है।

