Archana Tiwari Case : भोपाल से रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हुई अधिवक्ता अर्चना तिवारी आखिरकार 12 दिनों बाद उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के पलियाकलां स्थित नेपाल बॉर्डर के पास सकुशल मिल गई हैं। यह मामला 7 अगस्त को सामने आया था, जब वह इंदौर से कटनी के लिए नर्मदा एक्सप्रेस में सफर कर रही थीं और रास्ते में अचानक लापता हो गईं।इस खबर ने जहां परिवार और प्रशासन को राहत दी, वहीं अब इस गायब होने के रहस्य से पर्दा उठने की उम्मीद भी बढ़ गई है। हालांकि पुलिस ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह नेपाल बॉर्डर तक कैसे पहुंचीं और क्या उनके साथ कोई और भी था।
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फोन कॉल से मिली सूचना
मंगलवार सुबह अर्चना के मुंहबोले भाई और युवक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष दिव्यांशु अंशु मिश्रा ने बताया कि उनकी अर्चना से फोन पर बात हुई है। इस खबर से परिजनों को गहरी राहत मिली, क्योंकि बीते 12 दिनों से अर्चना का कोई अता-पता नहीं था और किसी अनहोनी की आशंका बढ़ती जा रही थी।
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रेल पुलिस की सतर्कता लाई रंग
भोपाल जीआरपी (रेल पुलिस) के अधीक्षक राहुल लोढ़ा ने देर रात पुष्टि की कि अर्चना तिवारी को सुरक्षित बरामद कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल उन्हें भोपाल लाया जा रहा है और बुधवार को अर्चना से पूछताछ के बाद ही यह बताया जाएगा कि वह कहां थीं और कैसे वहां पहुंचीं।इस मामले में जीआरपी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन, रेलवे ट्रैक की तलाशी और साइबर सेल की मदद से लगातार जांच जारी रही। पुलिस को कुछ दिन पहले ही सूचना मिली थी कि अर्चना नेपाल भागने की कोशिश कर सकती हैं, जिसके आधार पर लखीमपुर खीरी में विशेष निगरानी रखी गई थी।
अर्चना की पृष्ठभूमि और लापता होने की घटना
28 वर्षीय अर्चना तिवारी, मध्य प्रदेश के कटनी जिले की निवासी हैं और इंदौर में एक हॉस्टल में रहकर ज्यूडिशियल सर्विस की तैयारी कर रही थीं। 7 अगस्त को रक्षाबंधन के अवसर पर वह अपने भाई को राखी बांधने के लिए इंदौर से कटनी जा रही थीं। इसी दौरान वह ट्रेन से लापता हो गईं।उनका मोबाइल आखिरी बार भोपाल के कमलापति रेलवे स्टेशन पर एक्टिव था, उसके बाद से वह बंद हो गया था। यही लोकेशन सुराग बनी और पुलिस ने जांच का दायरा वहीं से शुरू किया।
ग्वालियर के सिपाही से पूछताछ
इस केस में एक और बड़ा एंगल सामने आया जब जीआरपी ने ग्वालियर में पदस्थ सिपाही राम तोमर को हिरासत में लेकर पूछताछ की। बताया गया है कि इसी सिपाही ने अर्चना का ट्रेन टिकट बुक किया था। इसलिए उसकी भूमिका को लेकर संदेह हुआ और पुलिस ने उससे पूछताछ की।अब यह जांच का विषय है कि क्या अर्चना के लापता होने में इस सिपाही की कोई भूमिका रही या वह केवल टिकट बुक करने तक ही सीमित था
अब जांच से हटेगा रहस्य से पर्दा
अर्चना के मिल जाने के बाद इस हाई-प्रोफाइल मामले से जुड़े कई सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है। क्या वह खुद से वहां गईं? क्या किसी ने उन्हें मजबूर किया? क्या यह किसी साजिश का हिस्सा था? इन तमाम पहलुओं की गहराई से जांच बुधवार को शुरू होगी, जब जीआरपी उनसे पूछताछ करेगी।इस मामले में जिस तरह पुलिस ने निरंतर प्रयास किया और नेपाल बॉर्डर तक खोज की, वह निश्चित रूप से सराहनीय है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अर्चना तिवारी खुद क्या बयान देती हैं, और यह रहस्य आखिरकार किस सच्चाई तक पहुंचता है।

