पुतिन के जाते ही भारत को मिली मनचाही मुराद, देसी ‘राफेल’ से दुश्मनों की नींद उड़ाएगा भारत

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नई दिल्ली

रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के भारत से रवाना होते ही बड़ी खुशखबरी सामने आई है. ताजा डेवलपमेंट से देसी फाइटर जेट प्रोग्राम को रफ्तार मिलने की पूरी संभावना है. अमेरिकी डिफेंस कंपनी GE एयरोस्पेस ने शुक्रवार 5 नवंबर 2025 को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को पांचवीं F404-IN20 इंजन की आपूर्ति कर दी. यह तेजस MK-1A लड़ाकू विमान कार्यक्रम में एक अहम प्रगति मानी जा रही है. यह डिलीवरी वर्ष 2021 में किए गए 99 इंजनों के करार के तहत की गई है, जिसके आधार पर भारतीय वायुसेना के लिए स्वदेशी तेजस विमानों का निर्माण जारी है. ताज़ा सौंपा गया इंजन HAL और अमेरिकी कंपनी GE एयरोस्पेस के बीच मजबूत होती साझेदारी और स्थिर होते सप्लाई चेन का संकेत देता है.

F404-IN20 इंजन उन्नत तेजस MK-1A को शक्ति देता है. यह वर्जन अपने पुराने MK-1 मॉडल की तुलना में बेहतर एवियोनिक्स, रडार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से लैस है. HAL का कहना है कि MK-1A विमानों की इंडक्शन प्रक्रिया जल्द शुरू होगी. भारतीय वायुसेना पहले ही 83 विमानों का ऑर्डर दे चुकी है, जबकि 97 और तेजस MK-1A के लिए प्रस्ताव उन्नत चरण में है. HAL ने 2026-27 तक सालाना 30 तेजस निर्माण का लक्ष्य रखा है, जिसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए हासिल किया जाएगा. ‘इंडियन डिफेंस न्‍यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2025 में पहली इंजन डिलीवरी के बाद दूसरी और तीसरी इंजन 11 सितंबर तक HAL को मिल गई थीं. चौथी इंजन सितंबर के अंत तक सौंप दी गई थी. अब पांचवीं इंजन के साथ GE एयरोस्पेस ने 2025 वित्त वर्ष के अंत तक 12 इंजन देने की प्रतिबद्धता दोहराई है. ये इंजन भारत की जरूरतों के हिसाब से अपग्रेड किए गए हैं, जिनमें बेहतर थ्रस्ट और मल्टी-रोल ऑपरेशंस के लिए ज्यादा भरोसेमंद प्रदर्शन शामिल है.

तेजस MK-1A की खास बातें क्या हैं?

    एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम
    अधिक स्मार्ट और तेज रडार (AESA रडार)
    बेहतर हथियार ले जाने की क्षमता
    डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर कंट्रोल सिस्टम
    कम रखरखाव, ज्यादा भरोसेमंद प्रदर्शन

₹8995 की डिफेंस डील

नवंबर 2025 में HAL ने GE के साथ 113 अतिरिक्त F404-IN20 इंजन और सपोर्ट पैकेजों के लिए 1 अरब डॉलर से अधिक का बड़ा करार किया था. ये इंजन विशेष रूप से 97 अतिरिक्त तेजस MK-1A विमानों के लिए हैं. इनकी डिलीवरी 2027 से 2032 के बीच की जाएगी. इससे भारतीय तेजस बेड़े की अनुमानित संख्या 352 तक पहुंच जाएगी. चर्चा के दौरान दोनों पक्षों ने कीमत, सपोर्ट और उत्पादन शेड्यूल पर विस्तृत विचार-विमर्श किया, जो परिपक्व हो रहे भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को दर्शाता है. HAL के चेयरमैन डी.के. सुनील ने कहा कि सप्लाई चेन अब स्थिर हो चुकी है, जिससे MK-1A विमानों की समय पर डिलीवरी का रास्ता साफ हुआ है. HAL और GE की चार दशक पुरानी साझेदारी अब एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग ट्रांसफर तक बढ़ चुकी है, जो भारत की स्वदेशी एयरोस्पेस क्षमता को मजबूती देगी. तेजस कार्यक्रम की यह प्रगति न केवल भारत की सैन्य क्षमता बढ़ाती है, बल्कि विदेशी प्लेटफॉर्म पर निर्भरता कम कर देश की रक्षा आत्मनिर्भरता को भी नई दिशा देती है.

तेजस MK-1A को कौन सा इंजन ताकत देता है?

इसे GE F404-IN20 इंजन शक्ति देता है, जो अमेरिका की कंपनी GE Aerospace बनाती है। यह तेज, शक्तिशाली और भरोसेमंद इंजन है. HAL को कुल 99 इंजनों की सप्लाई की जा रही है, जिनमें से पाँच इंजन सौंपे जा चुके हैं.

किस तरह का पेलोड ले जा सकता है तेजस फाइटर जेट?

तेजस MK-1A हवा से हवा, हवा से जमीन और प्रिसिजन-गाइडेड बमों सहित कई तरह के हथियार ले सकता है. इसमें भारतीय और विदेशी दोनों तरह की मिसाइलें लगाई जा सकती हैं.

भारत के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है?

भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता (Aatmanirbhar Bharat) को मजबूत करता है. आधुनिक युद्धक्षमता बढ़ाता है. इसके अलावा यह भारतीय वायुसेना को भरोसेमंद और हाई-टेक स्वदेशी प्लेटफॉर्म देता है. भविष्य में तेजस MK-2 और AMCA जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स की नींव तैयार करता है.

चीन-पाकिस्‍तान की बढ़ेगी टेंशन

भारत स्‍वदेशी लड़ाकू विमान निर्माण के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है. घरेलू स्‍तर पर फाइटर जेट इंजन डेवलप न होने की वजह से भारत को देसी फाइटर जेट के उत्‍पादन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, लड़ाकू विमान के इंजन के लिए भारत को अमेरिका समेत अन्‍य देशों पर निर्भर रहना पड़ता है. यही वजह है कि भारत अब घरेलू स्‍तर पर फाइटर जेट इंजन डेवलप करने के प्रोजेक्‍ट पर पूरी गंभीरता से काम करना शुरू किया है. बता दें कि तेजस फाइटर जेट प्रोजेक्‍ट के तहत चौथी और 4.5++ फाइटर जेट डेवलप करने की प्‍लानिंग है. इसे देसी राफेल भी कहा जाता है. भारत के इस प्रोग्राम से चीन और पाकिस्‍तान के माथे पर शिकन आना तय है.

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