Asaram Bapu News:आसाराम बापू को राजस्थान हाई कोर्ट से बड़ा झटका… इस दिन तक जेल में सरेंडर का आदेश

Mona Jha
Asaram Bapu News
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Asaram Bapu News:राजस्थान हाई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के गंभीर मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रहे स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम बापू को एक और बड़ा झटका दिया है। अदालत ने उनकी अंतरिम जमानत बढ़ाने से इनकार कर दिया है और साफ निर्देश दिया है कि उन्हें 30 अगस्त 2025 तक जोधपुर सेंट्रल जेल में सरेंडर करना होगा।

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मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट का फैसला

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अहमदाबाद के सिविल अस्पताल से प्राप्त मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। सरकारी अस्पताल के तीन डॉक्टरों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि आसाराम की शारीरिक स्थिति फिलहाल जेल में रहने लायक है। इसी आधार पर अदालत ने अंतरिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया।यह निर्णय राजस्थान हाई कोर्ट की डबल बेंच, जिसमें जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर शामिल हैं, द्वारा लिया गया।

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पहले मिली थी राहत, अब नहीं मिली मंज़ूरी

बता दें कि इससे पहले 12 अगस्त को आसाराम की ओर से दायर जमानत याचिका पर अदालत ने उन्हें अस्थायी राहत दी थी और 29 अगस्त तक की जमानत स्वीकृत की थी। लेकिन इस बार अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि मेडिकल आधार पर अब कोई अतिरिक्त राहत नहीं दी जा सकती।अदालत ने कहा कि यदि भविष्य में उनकी तबीयत वाकई गंभीर होती है, तो वे नई मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर दोबारा जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। लेकिन वर्तमान में उनके स्वास्थ्य को देखते हुए जेल में रहना संभव है।

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सरेंडर न करने पर हो सकती है सख्त कार्रवाई

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कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर आसाराम तय समय पर सरेंडर नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यह आदेश एक मजबूत संदेश है कि अदालत अब बार-बार की गई जमानत याचिकाओं को गंभीरता से नहीं ले रही और कानून के समक्ष सभी समान हैं।

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क्या हो सकता है अगला कदम?

फिलहाल आसाराम के पास एकमात्र विकल्प यही है कि वे 30 अगस्त तक जोधपुर सेंट्रल जेल में आत्मसमर्पण करें। उनके वकील चाहें तो नई मेडिकल स्थिति के आधार पर आगे फिर से आवेदन कर सकते हैं, लेकिन तब तक उन्हें जेल में ही रहना होगा।यह फैसला उन सभी मामलों में मिसाल बन सकता है जहां अभियुक्त चिकित्सा आधार पर बार-बार जमानत की मांग करते हैं। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि गंभीर अपराधों में सजा पाए व्यक्तियों के लिए कानूनी प्रक्रिया से भागना संभव नहीं है।

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