Ashadha Vinayak Chaturthi 2025: हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है। लेकिन विनायक चतुर्थी को बेहद ही खास माना गया है, जो कि हर माह में एक बार पड़ती है। यह तिथि भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना को समर्पित होती है।
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इस दिन भक्त भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं, माना जाता है कि ऐसा करने से प्रथम पूजनीय श्री गणेश प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और भक्तों के सारे कष्ट दूर कर देते हैं। पंचांग के अनुसार हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत पूजा का विधान होता है, तो हम आपको अपने इस लेख द्वारा विनायक चतुर्थी की तारीख और पूजा विधि के बारे में बता रहे हैं।
आषाढ़ विनायक चतुर्थी की तारीख

हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि का आरंभ 27 जून दिन शुक्रवार को देर रात 1 बजकर 25 मिनट पर होगा। वहीं इसकी समाप्ति 28 जून दिन शनिवार को देर रात 2 बजकर 22 मिनट पर होगी। ऐसे में इस बार विनायक चतुर्थी का व्रत 28 जून दिन शनिवार को यिका जाएगा।
आषाढ़ विनायक चतुर्थी पूजा विधि
आपको बता दें कि विनायक चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें। अब पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल, पुष्प और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प करें। इसके बाद एक वेदी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं, भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें साथ ही गंगाजल से अभिषेक करें।
देसी घी दीपक जलाएं। भगवान श्री गणेश को रोली और चंदन का तिलक लगाएं। उन्हें लाल पुष्प अर्पित करें। इसके बाद दूर्वा चढ़ाएं कर भगवान को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। ‘ॐ गं गणपतये नमः’ इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। अंत में आरती करें। शाम के समय चंद्रमा को जल अर्पित करें।
पूजा मंत्र
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।।
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

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