Asia Cup 2025: सिर्फ दो टिकटों की कहानी से जन्मा एशिया कप! जानिए कैसे हुई थी टूर्नामेंट की शुरुआत

Chandan Das
Asia CUP

Asia Cup 2025:  एशिया कप 2025 में भारत-पाकिस्तान का बहुप्रतीक्षित मुकाबला होने जा रहा है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद इस मैच को लेकर विवाद बढ़ा है, और सोशल मीडिया पर #BoycottPakistan ट्रेंड कर रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं, इसी भारत और पाकिस्तान ने मिलकर एशिया कप की नींव रखी थी? और इसके पीछे की कहानी सिर्फ दो टिकटों की मांग से जुड़ी है, जिसने पूरे क्रिकेट इतिहास की दिशा बदल दी।

दो टिकटों से शुरू हुई थी नई क्रांति

बात है 1983 वर्ल्ड कप की। भारत की टीम ने फाइनल में जगह बना ली थी, और पूरे देश में उत्साह का माहौल था। तभी बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष एन. के. पी. साल्वे से दो टिकटों की मांग की गई। कहा जाता है, यह अनुरोध पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे ने किया था। साल्वे ने तुरंत इंग्लैंड में आयोजकों से संपर्क किया, लेकिन उन्हें साफ मना कर दिया गया। बहाना था कि साल्वे को पहले ही दो टिकट मिल चुके हैं। लेकिन फाइनल में वही सीटें खाली थीं! साल्वे को ये अपमान सीधे इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट वर्चस्व की याद दिला गया।

एशिया कप और रिलायंस वर्ल्ड कप

भारत ने 1983 का वर्ल्ड कप जीत लिया, लेकिन साल्वे उस अपमान को भूल नहीं पाए। उन्होंने तय कर लिया कि एशिया को अपना खुद का क्रिकेट मंच चाहिए, जहां इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया का दबदबा न हो।

1984 में लाहौर में भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के प्रतिनिधियों की मीटिंग हुई। यहीं से एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) की शुरुआत हुई। फिर 1987 में रिलायंस वर्ल्ड कप भारत में आयोजित कर इस मिशन को और मज़बूती मिली।

पैसा, पिच और पहचान: शारजाह का रोल

एक और बड़ी चुनौती थी पैसा। इसके समाधान के लिए दिल्ली में एक बैठक हुई, जहां शारजाह के शेख अब्दुल रहमान बुखातिर विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे। क्रिकेट के बड़े प्रशंसक बुखातिर के पास संसाधनों की कमी नहीं थी। उन्होंने शारजाह स्टेडियम को आधिकारिक एशिया कप वेन्यू बनाने की पेशकश की।

1984: पहला एशिया कप भारत बना चैंपियन

आखिरकार, 1984 में यूएई के शारजाह में पहला एशिया कप आयोजित हुआ। सिर्फ तीन टीमें थीं भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका। फॉर्मेट था राउंड रॉबिन। भारत, सुनील गावस्कर की कप्तानी में चैंपियन बना, श्रीलंका रहा उपविजेता। इस टूर्नामेंट ने सिर्फ एक कप नहीं, बल्कि एशिया की क्रिकेट ताकत को भी जन्म दिया। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के वर्चस्व को चुनौती देने वाला मंच अब बन चुका था।

अब बायकॉट की मांग क्यों?

आज जब राजनीतिक तनाव के कारण भारत-पाक मैचों पर सवाल उठते हैं, तब ये जानना ज़रूरी है कि एशिया कप की नींव इन्हीं दोनों देशों ने मिलकर रखी थी। लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं। आतंकी हमलों, सीमा पर तनाव और कूटनीतिक संबंधों के चलते, क्रिकेट को भी राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।

एशिया कप सिर्फ एक क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं, बल्कि क्रिकेट में एशिया की आत्मनिर्भरता और पहचान की कहानी है। दो टिकटों से शुरू हुई इस लड़ाई ने एशिया को क्रिकेट मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर दिया। और आज, जब मैदान पर भारत-पाक फिर आमने-सामने हैं, तब यह इतिहास एक बार फिर हमें सोचने पर मजबूर करता है।

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