Asim Munir: पाकिस्तान की सेना हमेशा से सत्ता पर प्रभाव रखने और अपने पसंदीदा नेताओं को शीर्ष पर बैठाने के लिए जानी जाती रही है। इस बार ऐसा कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्स (CDF) बनाया गया। 27 नवंबर 2025 को मुनीर ने इस नए पद की जिम्मेदारी संभाली।
Asim Munir: तीनों सेनाओं के प्रमुख बने आसिम मुनीर
इस पद की स्थापना पाकिस्तान के संविधान में 27वें संशोधन के जरिए की गई है। अब आसिम मुनीर अगले पांच साल के लिए थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनों का हेड हैं। 1 नवंबर 2025 को पारित किए गए इन संशोधनों ने पहले मौजूद ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (CJCSC) के अध्यक्ष पद को समाप्त कर दिया। गौरतलब है कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान की हार के बाद 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने यह पद बनाया था।
Asim Munir : CJCSC का पद समाप्त
वर्तमान CJCSC जनरल साहिर शमशाद मिर्जा के 27 नवंबर 2025 को रिटायर होने के साथ ही यह पद दशकों बाद समाप्त हो गया। पाकिस्तान के निर्माण के बाद से देश में नागरिक और सैन्य शासन के बीच उतार-चढ़ाव चलता रहा है। परवेज मुशर्रफ 1999 में तख्तापलट कर सत्ता में आए और 2008 तक राष्ट्रपति रहे। इस प्रकार, लंबे समय तक सेना का प्रभाव यहां निर्णायक रहा है।
न्यूक्लियर वेपन और ओवरऑल कंट्रोल
27वें संविधान संशोधन ने पाकिस्तान में सत्ता के संतुलन को सेना की ओर झुका दिया है। अब आसिम मुनीर तीनों सेनाओं के प्रमुख होने के साथ-साथ न्यूक्लियर वेपन सिस्टम का भी प्रभारी हैं। तीनों सेनाओं का ओवरऑल नियंत्रण राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल से हटकर CDF के पास चला गया है। यह कदम पाकिस्तान में सैन्य प्रभुत्व को और मजबूत करता है।संशोधन के तहत आसिम मुनीर का कार्यकाल 2030 तक बढ़ा दिया गया। पहले वे 27 नवंबर को रिटायर होने वाले थे, लेकिन अब वे अगले पांच साल तक CDF पद पर बने रहेंगे। इसके साथ ही उन्हें राष्ट्रपति जैसी कानूनी सुरक्षा भी दी गई है। फील्ड मार्शल, वायुसेना और नौसेना प्रमुखों को भी किसी मुकदमे से आजीवन छूट प्रदान की गई है।
मुनीर का शहबाज सरकार में प्रभाव
आसिम मुनीर पाकिस्तान के सैन्य खुफिया विभाग और बाद में ISI के प्रमुख रह चुके हैं। 2019 में इमरान खान के कार्यकाल में उन्हें 8 महीने के बाद खुफिया प्रमुख के पद से हटा दिया गया। लेकिन इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने के बाद शहबाज शरीफ सरकार ने उन्हें सेना की कमान सौंप दी। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के साथ हुई लड़ाई के बाद भी उन्हें फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया।
विशेषज्ञों की राय
रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल नईम खालिद लोधी का कहना है कि अब आसिम मुनीर पाकिस्तान में सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन चुके हैं। न्यूज़ एजेंसी एएफपी के मुताबिक, “उनके अधिक शक्तिशाली बनने के लिए पाकिस्तान के नेता जिम्मेदार हैं। थोड़े से राजनीतिक हितों के लिए उन्होंने देश के भविष्य को जोखिम में डाल दिया।”हालांकि पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार मौजूद है, लेकिन सेना का प्रभाव अभी भी गहरा है। दोनों मिलकर देश की राजनीति और आर्थिक निर्णयों में असर डालते हैं। 27वें संशोधन के बाद यह संतुलन पूरी तरह से सेना के पक्ष में हो गया है।
CDF पद का महत्व
अब CDF पद के जरिए मुनीर के पास तीनों सेनाओं और न्यूक्लियर आस्तियों पर पूर्ण नियंत्रण है। इससे पाकिस्तान में सैन्य प्रभुत्व और मजबूत हुआ है और किसी भी राजनीतिक नेतृत्व का असर सीमित हो गया है। यह पद देश की रक्षा और रणनीति पर निर्णायक शक्ति रखता है।
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