Atiq Ahmed के बेटे Umar Ahmed को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मिली जमानत, लखनऊ सीबीआई कोर्ट ने सुनाया फैसला

माफिया डॉन अतीक अहमद के बड़े बेटे उमर अहमद को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे में लखनऊ की सीबीआई की प्रथम अदालत से जमानत मिल गई है। उमर अहमद ने 2022 में लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।

Akanksha Dikshit
umar ahmed

Lucknow News: माफिया डॉन अतीक अहमद (Atiq Ahmed) के बड़े बेटे उमर अहमद (umar ahmed) को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (Money Laundering Act) के तहत दर्ज मुकदमे में लखनऊ (Lucknow) की सीबीआई की प्रथम अदालत से जमानत मिल गई है। उमर पर इस मामले में जांच में सहयोग न करने के आरोप तय हुए थे, जिसके चलते वह लंबे समय से जेल में बंद थे। उनके अधिवक्ता अमीर नकवी के सहयोगी अधिवक्ता ज़ैद ने बताया कि उमर ने कोर्ट में पेशी दी, जहां से कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है।

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अतीक अहमद का काला कारोबार संभालता था उमर

गौरतलब है कि अतीक अहमद ने अपने काले धंधों में सबसे पहले अपने बड़े बेटे उमर अहमद (umar ahmed) को शामिल किया था। उमर, जो उस समय नोएडा में एलएलबी की पढ़ाई कर रहा था, अपने पिता के जेल जाने के बाद बिल्डरों से लेन-देन का काम देखने लगा। इसी दौरान, 2018 में, अतीक ने अपने बेटे उमर और अन्य गुर्गों से बिल्डर मोहित जायसवाल का अपहरण करवाया। मोहित को देवरिया जेल के अंदर लाकर बुरी तरह प्रताड़ित किया गया। आरोप है कि अतीक ने मोहित को उल्टा लटकाकर मारा और उसकी उंगलियां तक तोड़ दीं। इसके बाद, मोहित की कंपनी को अपने नाम करवा लिया।

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देवरिया जेल कांड का हुआ पर्दाफाश

मोहित जायसवाल के अतीक के चंगुल से निकलने के बाद, उन्होंने लखनऊ (Lucknow) के कृष्ण नगर थाने में अतीक, उमर और अन्य गुर्गों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। इस केस ने देवरिया जेल कांड का सच उजागर किया, जहां अतीक अहमद जेल के अंदर से अपना साम्राज्य चला रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए, अतीक अहमद को यूपी से बाहर गुजरात की साबरमती जेल में स्थानांतरित करने का आदेश दिया ताकि वह अपने रसूख का दुरुपयोग न कर सके।

करीब दो साल तक फरार था उमर

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआई ने देवरिया जेल कांड की जांच की और पाया कि जेल प्रशासन, जिसमें जेलर और अन्य कर्मचारी शामिल थे, अतीक को जेल में विशेष सुविधाएं देते थे। जांच के बाद सभी जेल कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। इस कांड में अतीक के कई गुर्गों की गिरफ्तारी हुई, लेकिन उमर अहमद करीब दो साल तक सीबीआई को चकमा देकर फरार रहा। उमर पर सीबीआई ने 2 लाख रुपये का इनाम भी रखा था।

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2022 में किया था सरेंडर

लगातार दबाव के बीच उमर अहमद ने आखिरकार 2022 में लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। तब से वह लखनऊ जेल में बंद था। अब, मनी लॉन्ड्रिंग केस में उसे जमानत मिल गई है, लेकिन इस मामले में अभी कई और पहलुओं की जांच और कानूनी कार्रवाई लंबित है। जहां एक ओर उमर अहमद को राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर जांच और कानूनी कार्रवाई जारी है।

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