Siachen Glacier Avalanche: लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर से दुखद खबर सामने आई है। सोमवार को हिमस्खलन की घटना में भारतीय सेना के तीन जवान शहीद हो गए हैं। जानकारी मिली है कि यह हादसा उस वक्त हुआ जब जवान पेट्रोलिंग पर थे। हिमस्खलन ने एक सैन्य पोस्ट को पूरी तरह से अपनी चपेट में ले लिया। फिलहाल, सेना की बचाव टीमें सक्रिय हैं और प्रभावित क्षेत्र में राहत एवं बचाव कार्य जारी है।
दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र
सियाचिन ग्लेशियर को विश्व का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र माना जाता है। यह ग्लेशियर कराकोरम पर्वत श्रृंखला पर स्थित है और इसकी ऊंचाई लगभग 20,000 फीट है। यहां का तापमान सर्दियों में माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है, जिससे यह अत्यंत प्रतिकूल और खतरनाक क्षेत्र बन जाता है। तेज़ हवाएं और बर्फ़ीली ठंड की वजह से यहां काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है।
सियाचिन में सेना की तैनाती देश की सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। यहां के सैनिक कठोर सर्दी और खतरनाक मौसम के बावजूद चौकसी बनाए रखते हैं। इस क्षेत्र में पहले भी कई बार हिमस्खलन की घटनाएं हुई हैं, जिनमें कई जवान शहीद हो चुके हैं।
ऑपरेशन मेघदूत: सियाचिन पर भारत का नियंत्रण
भारत ने सियाचिन ग्लेशियर पर अपनी मौजूदगी को मजबूत करने के लिए 1984 में ऑपरेशन मेघदूत शुरू किया था। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने सियाचिन पर अपना कब्जा किया और तब से यह क्षेत्र भारतीय सुरक्षा व्यवस्था का अहम हिस्सा बना हुआ है। ऑपरेशन मेघदूत के बाद से भारतीय सैनिक इस ठंडे और कठिन इलाके में देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं।
हिमस्खलन के बाद बचाव कार्य जारी
हिमस्खलन की घटना के बाद सेना की बचाव टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और प्रभावित क्षेत्र की खोजबीन शुरू की। अभी तक तीन जवानों की शहादत की पुष्टि हुई है, जबकि बाकी जवानों की स्थिति का पता लगाने के प्रयास जारी हैं। सेना ने अपने जवानों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की है और परिवारों के प्रति संवेदनाएं प्रकट की हैं।
सियाचिन में हिमस्खलन
सियाचिन ग्लेशियर की कठोर प्राकृतिक परिस्थितियां सेना के लिए बड़ी चुनौती हैं। यहां का बर्फीला मौसम और उंचाई के कारण सैनिकों की जान हमेशा खतरे में रहती है। पिछले कई दशकों में हिमस्खलन और मौसम की वजह से यहां कई सैनिक शहीद हो चुके हैं। बावजूद इसके, सैनिक देश की सुरक्षा के लिए पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ इस कठिन क्षेत्र में डटे हुए हैं।
सियाचिन ग्लेशियर में हुए इस हिमस्खलन की घटना ने देश को एक बार फिर सैनिकों की हिम्मत और देशभक्ति की याद दिलाई है। शहीद जवानों के परिवारों के प्रति देश अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता है। साथ ही, यह घटना भारतीय सेना की सीमाओं की सुरक्षा के लिए उनके समर्पण और साहस की मिसाल है। रक्षा मंत्रालय और सेना की ओर से प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया गया है।
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