Avdhesh Prasad: अवधेश प्रसाद का ‘विस्फोटक’ बयान, क्या अयोध्या में हो रहा है भेदभाव?

अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में आमंत्रित न किए जाने पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि इसका कारण उनका दलित समाज से होना है। उनके इस 'विस्फोटक' बयान के बाद यूपी में सियासी बवाल मच गया है। कौन सा था वह कार्यक्रम और किसकी थी ये गलती?

Chandan Das
Avdhesh Prasad
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Avdhesh Prasad: अयोध्या से समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने राम मंदिर में धर्म ध्वजा स्थापना कार्यक्रम में उन्हें न बुलाए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। सांसद ने कहा कि उनका मानना है कि उन्हें इस कार्यक्रम में न बुलाने का कारण उनका दलित समाज से होना है। उन्होंने इसे राम की मर्यादा के विपरीत बताया और आरोप लगाया कि यह किसी और की संकीर्ण सोच का परिचय है। अवधेश प्रसाद ने कहा कि राम सबके हैं और उनकी लड़ाई किसी पद या निमंत्रण की नहीं, बल्कि सम्मान, बराबरी और संविधान की मर्यादा की है।

Avdhesh Prasad: प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर में फहराया ध्वज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अयोध्या पहुंचे और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर वैदिक मंत्रोच्चार और ‘जय श्री राम’ के नारों के बीच केसरिया ध्वज फहराया। इस अनुष्ठान के साथ ही राम मंदिर का निर्माण औपचारिक रूप से पूरा हो गया। पीएम मोदी ने इस ऐतिहासिक ध्वजारोहण को ‘युगांतकारी’ करार देते हुए कहा कि यह सदियों के जख्म और दर्द को भरने का समय है। उन्होंने कहा कि 500 साल पुराना संकल्प अब पूरा हो गया है और राम मंदिर का औपचारिक निर्माण संपूर्ण हुआ है।

Avdhesh Prasad: ध्वजारोहण कार्यक्रम में प्रमुख नेताओं की उपस्थिति

ध्वजारोहण के इस ऐतिहासिक मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। हालांकि, इस कार्यक्रम में अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद को नहीं बुलाए जाने के बाद यह मामला अब तूल पकड़ चुका है। स्थानीय सांसद को कार्यक्रम में आमंत्रित किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, और इस पर उन्होंने अपनी नाराजगी सोशल मीडिया पर व्यक्त की।

अवधेश प्रसाद ने किया नाराजगी का इज़हार

24 नवंबर को, अवधेश प्रसाद ने समाजवादी पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट करते हुए बताया कि उन्हें राम मंदिर में धर्म ध्वजा कार्यक्रम के लिए निमंत्रण नहीं मिला। सांसद ने कहा कि अगर उन्हें निमंत्रण मिलता तो वे सारा कामकाज छोड़कर नंगे पैर ही कार्यक्रम में शामिल होते। इसके बावजूद, उन्हें इस महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन का हिस्सा नहीं बनाया गया। इस पर उनकी नाराजगी स्पष्ट तौर पर दिखी, और उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से इसका विरोध किया।

राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत और ध्वजारोहण का महत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की नींव 5 अगस्त 2020 को रखी थी। इसके बाद, 22 जनवरी 2022 को पीएम मोदी ने राम मंदिर का उद्घाटन किया था, हालांकि उस समय मंदिर के बाकी हिस्सों का निर्माण जारी था, इसलिए धर्म ध्वजा नहीं फहराया जा सका था। अब मंदिर का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है, जिसके बाद अब धर्म ध्वजा फहराने की प्रक्रिया को संपन्न किया गया। यह क्षण अयोध्या में लाखों हिन्दू भक्तों के लिए ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण था।

मंदिर के निर्माण और विवादों की पृष्ठभूमि

राम मंदिर का निर्माण लंबे समय से एक संवेदनशील और राजनीतिक मुद्दा रहा है। बाबरी मस्जिद को 1992 में ध्वस्त कर दिया गया था, जिसके बाद से राम मंदिर निर्माण की मांग लगातार उठती रही। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और अन्य हिंदू संगठनों ने इसे अपने प्रमुख मुद्दे के रूप में उठाया, जबकि मुस्लिम समुदाय के कुछ सदस्य इस पर विरोध करते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले के बाद मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ, और अब अयोध्या में यह मंदिर पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका है।

ममता बनर्जी की चिंता और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

अवधेश प्रसाद के इस मुद्दे को लेकर राजनीति और भावनाएं अब तूल पकड़ चुकी हैं। इससे यह सवाल भी उठता है कि क्या धार्मिक कार्यक्रमों में राजनीति का असर बढ़ रहा है? हालांकि यह मामला एक सांसद के व्यक्तिगत आक्षेप से जुड़ा हुआ है, लेकिन इससे स्पष्ट होता है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद भी राजनीति, सामाजिक वर्ग और धार्मिक विचारधारा के मुद्दे गहरे हो गए हैं।

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