Ayodhya South Korea: दक्षिण कोरिया की सांसद जैवॉन किम ने भारत और कोरिया गणराज्य के बीच मौजूद लंबे, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को अत्यंत विशेष बताया है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या से उनका व्यक्तिगत, पारिवारिक और सांस्कृतिक रिश्ता गहराई से जुड़ा हुआ है। गोवा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में भाग लेने आईं किम ने कहा कि अयोध्या उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और वे इसे सांस्कृतिक रूप से बेहद पवित्र मानती हैं।
Ayodhya South Korea: अयोध्या की राजकुमारी सुरिरत्ना से जुड़ी साझा विरासत
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में जैवॉन किम ने भारत और कोरिया के बीच 2,000 वर्ष पुराने साझा वंश और विरासत को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा, “अयोध्या मेरे लिए एक विशेष और प्रतीकात्मक स्थान है। भारतीय राजकुमारी सुरिरत्ना, जो मेरी परदादी की भी परदादी थीं, हमारे परिवार की धरोहर हैं। उन्होंने अद्भुत साहस दिखाया और भारत की संस्कृति का सम्मान करते हुए एक नई भूमि में कदम रखा।” किम ने बताया कि उनके पूर्वजों ने भी भारत से आई इस संस्कृति को खुले मन से स्वीकार किया और सम्मान दिया।
Ayodhya South Korea: राजकुमारी के कोरिया आगमन ने जोड़ा दो देशों का दिल
किम ने यह भी बताया कि जब अयोध्या की राजकुमारी कोरिया पहुंचीं, तब उनके कोरियाई पूर्वज—जो उस समय के राजा थे—ने भारतीय संस्कृति को समझने और अपनाने में कोई हिचक नहीं दिखाई। यह पहल दोनों देशों की सभ्यताओं को जोड़ने वाला एक अनोखा सांस्कृतिक पुल बनी। यह संबंध केवल ऐतिहासिक दस्तावेजों में नहीं, बल्कि आज भी दोनों देशों की पहचान और मित्रता की बुनियाद के तौर पर जीवित है।
सांस्कृतिक सम्मान ही रिश्तों की सबसे मजबूत नींव: किम
जैवॉन किम ने कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया के बीच आज भी जो मजबूत संबंध दिखाई देते हैं, वे सांस्कृतिक आदान-प्रदान और एक-दूसरे की परंपराओं के सम्मान पर आधारित हैं। उन्होंने कहा, “दोनों देशों के लोग एक-दूसरे की संस्कृति को समझने की कोशिश करते हैं। यह समानताओं और विविधताओं का सम्मान ही है जो भारत–कोरिया संबंधों को और गहरा बनाता है।” किम के अनुसार, सांस्कृतिक समझ और पारस्परिक सम्मान से ही द्विपक्षीय सहयोग लंबे समय तक मजबूत रह सकता है।
फ़िल्मों में सहयोग बढ़ाने के लिए संस्थागत ढांचे की आवश्यकता
IFFI में भाग लेते हुए किम ने भारत और कोरिया की फिल्म इंडस्ट्री के सहयोग को बढ़ाने पर भी जोर दिया। उनका मानना है कि दोनों देशों को एक मजबूत, संस्थागत और सुव्यवस्थित B2B (बिज़नेस-टू-बिज़नेस) प्लेटफॉर्म तैयार करना चाहिए, जिससे फिल्म निर्माताओं के बीच आसानी से विचारों और तकनीकों का आदान-प्रदान हो सके। उन्होंने कहा कि ऐसे मंच फिल्म उद्योग के विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक संबंधों को भी नए आयाम दे सकते हैं।
अयोध्या-कोरिया का अनोखा ऐतिहासिक रिश्ता
दोनों देशों के बीच संबंधों की शुरुआत लगभग 2,000 वर्ष पहले मानी जाती है, जब अयोध्या की राजकुमारी सुरिरत्ना दक्षिण कोरिया पहुंचीं। वहां विवाह के बाद वे हियो ह्वांग-ओक के नाम से प्रसिद्ध हुईं और एक राजवंश की स्थापना की। इस कराक वंश (Karak Clan) ने दक्षिण कोरिया के किम-हाए क्षेत्र में शासन किया, जो आज बुसान के पास स्थित है और देश के सांस्कृतिक इतिहास में अहम स्थान रखता है। यह कथा न केवल ऐतिहासिक महत्व रखती है, बल्कि भारत और कोरिया के बीच एक गहरा मानवीय और सांस्कृतिक संबंध भी स्थापित करती है।
साझा विरासत बनी आधुनिक संबंधों की पहचान
आज, जब दोनों देश आर्थिक, सांस्कृतिक और तकनीकी साझेदारी को नई ऊँचाइयों तक ले जा रहे हैं, यह प्राचीन संबंध दोनों देशों की दोस्ती की आधारशिला के रूप में काम कर रहा है। किम का मानना है कि यह विरासत न केवल अतीत की कहानी है, बल्कि भविष्य के सहयोग की प्रेरणा भी है।
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