Ayodhya: अयोध्या की रामनगरी 25 नवंबर 2025 को एक बार फिर भव्य उत्सव के लिए तैयार है। इस दिन विवाह पंचमी के अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में ध्वजारोहण समारोह आयोजित होगा। यह दिन भगवान श्रीराम और माता सीता की विवाह वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है और इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे।
Ayodhya: श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ध्वजारोहण समारोह की तैयारियां तेज, PM मोदी के कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट
ध्वजारोहण का शुभ मुहूर्त

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, ध्वजारोहण का शुभ मुहूर्त सुबह 11:58 से 12:30 बजे तक रहेगा। इसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज की स्थापना करेंगे। यह ध्वजारोहण केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि मंदिर की पूर्णता और उसकी आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक माना जा रहा है।
शास्त्रों में ध्वजा का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मंदिर के शिखर पर ध्वजा लगाने का गहरा महत्व है। मंदिर पर फहरती ध्वजा से दिव्य ऊर्जा का संचार होता है। यह मंदिर परिसर में सकारात्मक और पवित्र वातावरण बनाए रखती है। मंदिर का शिखर सर्वोच्च बिंदु होता है और वहां ध्वजा स्थापित होने से यह माना जाता है कि मंदिर के भीतर विशिष्ट दैवीय शक्ति की उपस्थिति है। ध्वजा ब्रह्मांडीय ऊर्जा और मंदिर के गर्भगृह के बीच एक संपर्क सूत्र का कार्य करती है।
मंदिर की पूर्णता का प्रतीक
ध्वजा का स्थापित होना दर्शाता है कि मंदिर पूरी तरह से तैयार है और अब यह भक्तों के लिए दैवीय चेतना का केंद्र बन गया है। यह केवल एक रस्म नहीं बल्कि मंदिर की आध्यात्मिक पूर्णता का संकेत है।
ध्वजा दर्शन के लाभ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंदिर में लगी ध्वजा के दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। मंदिर की ध्वजा का दर्शन करना संपूर्ण मंदिर में स्थित देवी-देवताओं के दर्शन करने के बराबर है। यह भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति प्रदान करता है। ध्वजा मंदिर की दिव्यता और उसकी आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक होती है।
कैसी होगी राम मंदिर की ध्वजा?
राम मंदिर की ध्वजा विशेष रूप से शास्त्रों और भगवान राम की सूर्यवंशी परंपरा के अनुरूप तैयार की गई है। ध्वज का रंग केसरिया (भगवा) होगा। इस पर सूर्य देव का प्रतीक चिह्न अंकित रहेगा। ध्वज की ऊंचाई 191 फीट होगी, जो मंदिर के शिखर पर स्थापित की जाएगी।
इन दिशा-निर्देशों के साथ करें गीता पाठ, बढ़ेगा लाभ और प्रभाव
