Azam Khan : उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को 23 महीने की जेल अवधि पूरी कर जमानत मिलने के बाद वापस Y कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान कर दी गई है। 18 अक्टूबर 2023 को जेल जाने के बाद उनकी सुरक्षा वापस ले ली गई थी, लेकिन अब वे 3 गनर और 8 से 10 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में रहेंगे। हालांकि, आजम खान ने इस सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं और इसे लेकर अपनी चिंता भी जताई है।
जेल से बाहर आने के बाद सुरक्षा मिली वापस
आजम खान की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर हाल ही में बड़ा बदलाव हुआ है। 23 महीने जेल में बिताने के बाद जब वे जमानत पर बाहर आए तो यूपी सरकार ने उनकी Y कैटेगरी की सुरक्षा बहाल कर दी। इस सुरक्षा में तीन गनर तैनात किए गए हैं और उनकी सुरक्षा के लिए लगभग 8 से 10 पुलिसकर्मी लगाए गए हैं। यह सुरक्षा व्यवस्था उनके लिए बड़ी राहत मानी जा रही है, लेकिन आजम खान खुद इस पर असमंजस में हैं।
आजम खान ने सुरक्षा पर उठाए सवाल
आजम खान ने साफ तौर पर कहा है कि उन्हें यह नहीं पता कि इतनी सुरक्षा आखिर किसने और क्यों दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है, जिससे वे भरोसा नहीं कर पा रहे कि जो सुरक्षा गार्ड उनके लिए तैनात किए गए हैं, वे उत्तर प्रदेश पुलिस के ही हैं या नहीं।
उन्होंने अपने बयान में कहा:”मैं जमानत पर बाहर आया हूं, मैं सजायाफ्ता हूं। मेरे खिलाफ कई केसों में फैसला आना बाकी है। मुर्गी चोर हूं, बकरी चोर हूं, 21 साल की सजा हुई है और 36 लाख का जुर्माना लगा है। ऐसे सजायाफ्ता को Y कैटेगरी की सुरक्षा कौन और किस आधार पर दे रहा है?” यह सवाल राजनीतिक और कानूनी रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि आजम खान ने स्पष्ट किया कि वे सुरक्षा को लेकर आशंकित हैं और इसे लेकर पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।
आजम खान के खिलाफ चल रहे केस और सजायाफ्ता की स्थिति
आजम खान कई मामलों में न्यायालय की कार्रवाई के तहत सजायाफ्ता हैं। उन पर भ्रष्टाचार, संपत्ति संबंधी विवाद और कई अन्य आरोप लगे हैं, जिनमें उन्हें कुल 21 साल की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा, 36 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। ऐसे में उनकी सुरक्षा बढ़ाने का निर्णय विवादास्पद हो सकता है और राजनीतिक चर्चा का विषय बना हुआ है।
सुरक्षा व्यवस्था पर राजनीतिक और कानूनी प्रतिक्रियाएं
आजम खान की सुरक्षा बढ़ाए जाने पर राजनीतिक दलों और कानूनी विशेषज्ञों के बीच चर्चा जारी है। कुछ का मानना है कि जेल से रिहा सजायाफ्ता नेताओं को सुरक्षा देना राज्य सरकार का दायित्व है, जबकि कई लोग इसे खर्च और न्यायिक प्रक्रिया की अनदेखी के रूप में देख रहे हैं। आजम खान का सवाल यह भी दर्शाता है कि सुरक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता आवश्यक है ताकि सभी पक्षों का भरोसा बना रहे।
आजम खान को जेल से बाहर आने के बाद Y कैटेगरी की सुरक्षा मिलने और उनके द्वारा इसे लेकर उठाए गए सवालों ने एक बार फिर से राजनीतिक और प्रशासनिक चर्चाओं को जन्म दिया है। सुरक्षा की वजह और तर्क स्पष्ट न होने के कारण आजम खान खुद इस व्यवस्था को लेकर असमंजस में हैं। अब देखना होगा कि यूपी सरकार इस मामले में क्या स्पष्टीकरण देती है और भविष्य में इस तरह की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर क्या कदम उठाए जाते हैं।
