Babri Masjid:पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक हुमायूं कबीर द्वारा दिया गया हालिया बयान राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया का कारण बन गया है। कबीर ने दावा किया कि आगामी 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद के बेलडांगा क्षेत्र में बाबरी मस्जिद की नींव रखी जाएगी। उनके इस कथन ने प्रदेश में ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चाओं और विरोधों को जन्म दे दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान न केवल विवाद को बढ़ाता है बल्कि सांप्रदायिक संवेदनशीलता को भी प्रभावित कर सकता है।
Babri Masjid: बाबरी मस्जिद पक्षकार इकबाल अंसारी की प्रतिक्रिया
इस पूरे विवाद पर बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने संयमित प्रतिक्रिया दी। उन्होंने याद दिलाया कि बाबरी मस्जिद से जुड़ा मुद्दा अयोध्या से संबंध रखता है और इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में अपना अंतिम निर्णय सुना दिया था। अंसारी के अनुसार, देशभर के मुसलमानों ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान किया और शांति बनाए रखने का संदेश दिया। उन्होंने दोहराया कि कोर्ट द्वारा दी गई 5 एकड़ जमीन पर मस्जिद निर्माण की प्रक्रिया पहले से चल रही है, इसलिए अन्य स्थानों पर मस्जिद निर्माण को लेकर राजनीति करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
Babri Masjid:”मस्जिद के नाम पर राजनीति से दूरी रखें”
इकबाल अंसारी ने आगे कहा कि समय के साथ बहुत सी बातें पीछे छूट जाती हैं, लेकिन वर्तमान राजनीतिक माहौल में कई बार ऐसे संवेदनशील मुद्दों को फिर सामने लाया जाता है। उन्होंने अपील की कि समाज में सौहार्द और स्थिरता बनाए रखने के लिए धार्मिक मुद्दों पर अनावश्यक विवाद न पैदा किए जाएँ। उनका कहना था कि देश को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक दलों को ऐसे बयानों से परहेज़ करना चाहिए, जो समाज में तनाव बढ़ा सकते हैं।
जगद्गुरु परमहंस आचार्य की कठोर टिप्पणी
टीएमसी विधायक के बयान पर संत जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बयान देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देता है और अयोध्या विवाद के शांतिपूर्ण समाधान को चुनौती देता है। परमहंस आचार्य ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को अंतिम रूप से निपटा दिया है, राम मंदिर निर्माण पूर्ण हो चुका है और राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। उन्होंने दावा किया कि राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे बयान दिए जा रहे हैं, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा अनदेखा किया जा रहा है।
(नोट: आचार्य द्वारा कथित रूप से दिया गया हिंसक इनाम संबंधी वक्तव्य अत्यंत विवादित है, और समाचार रिपोर्टों में इसे केवल संदर्भ के तौर पर बताया गया है।)
बीजेपी नेता राम विलास वेदांती ने किया कड़ा विरोध
इस विवाद पर भाजपा नेता और राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख सदस्यों में से एक, राम विलास वेदांती ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि 6 दिसंबर या किसी भी दिन देश में कहीं भी दूसरी बाबरी मस्जिद का निर्माण संभव नहीं है। वेदांती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के नारे का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में सांप्रदायिक सद्भाव, शांति और राष्ट्रीय एकता बनाए रखना सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
राजनीतिक तापमान में बढ़ोतरी
इस पूरे विवाद के बीच राजनीतिक माहौल और गरम होता दिखाई दे रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे चुनावी माहौल नजदीक आता है, ऐसे बयान और प्रतिक्रियाएँ राजनीतिक चर्चाओं को और तीव्र करेंगी। फिलहाल सभी की निगाहें टीएमसी नेतृत्व पर टिकी हैं कि वे हुमायूं कबीर के बयान पर क्या रुख अपनाते हैं और आगे राजनीतिक समीकरण कैसे बदलते हैं।
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