Badrinath: बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने से पहले पंच पूजाओं का आयोजन किया जाता है, जिसका विशेष धार्मिक महत्व है। लोक मान्यता के अनुसार, पंच पूजाओं के दौरान देवताओं का धाम में आगमन होता है। कपाट बंद होने के बाद छह माह तक भगवान बदरीविशाल की पूजा-अर्चना का अधिकार देवताओं को ही प्राप्त होता है। यह परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है और आज भी उसी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाई जाती है।
Uttarakhand Day 2025: उत्तराखंड स्थापना दिवस आज, जानें राज्य का पूरा इतिहास…
पंच पूजाओं की शुरुआत

कपाट बंद होने से पांच दिन पहले पंच पूजाओं की शुरुआत होती है। इस दौरान विभिन्न मंदिरों में सीजन की अंतिम पूजा-अर्चना की जाती है और फिर उनके कपाट बंद कर दिए जाते हैं। बदरीनाथ की पंच पूजाएं अनूठी होती हैं। सबसे पहले गणेश मंदिर में पूजा होती है। अंतिम दिन सभी मंदिरों में पूजा-अर्चना रावल की ओर से की जाती है और फिर गणेश मंदिर के कपाट विधि-विधान से बंद कर दिए जाते हैं।
पंच पूजाओं का क्रम
पहला दिन: गणेश मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है और कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
दूसरा दिन: आदिकेदारेश्वर मंदिर में अन्नकूट का आयोजन होता है। भगवान भोलेनाथ को पके चावलों का भोग लगाया जाता है और शिवलिंग को अन्नकूट से ढक दिया जाता है। इसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
तीसरा दिन: खड़क पुस्तक पूजन और वेद ऋचाओं का वाचन बंद कर दिया जाता है।
चौथा दिन: माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित किया जाता है और विशेष पूजा होती है।
पांचवां दिन: बदरीनाथ मंदिर के कपाट विधि-विधान से बंद कर दिए जाते हैं।
देवताओं और मनुष्यों की पूजा परंपरा
बदरीनाथ के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल के अनुसार, शास्त्रों में वर्णित परंपरा के अनुसार बदरीनाथ में छह माह तक मनुष्य पूजा करते हैं और शीतकाल में कपाट बंद होने के बाद छह माह तक देवताओं द्वारा पूजा की जाती है। जैसे ही पंच पूजाएं शुरू होती हैं, माना जाता है कि देवताओं का आगमन धाम में हो जाता है। वैशाख माह में कपाट खुलने के बाद पूजा का अधिकार पुनः मनुष्यों को मिल जाता है।
कपाट बंद होने की प्रक्रिया

21 नवंबर से बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सुबह भगवान बदरीनाथ के अभिषेक के साथ गणेश मंदिर में विशेष पूजा की गई।
22 नवंबर: आदिकेदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद होंगे।
23 नवंबर: सभा मंडप में धार्मिक पुस्तक पूजन और वेद ऋचाओं का वाचन बंद होगा।
24 नवंबर: माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित किया जाएगा और लक्ष्मी मंदिर में विशेष पूजा होगी।
25 नवंबर: दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर विधि-विधान के साथ बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
