Karnataka Politics: कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस पार्टी के अंदर बढ़ती तकरार अब और तेज हो गई है। बुधवार को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार अचानक दिल्ली रवाना हो गए, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। हालांकि, शिवकुमार ने इस यात्रा को निजी कारणों से बताया, लेकिन यह माना जा रहा है कि वह दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर राज्य की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करेंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि वह तभी दिल्ली जाएंगे जब पार्टी हाईकमान की ओर से उन्हें बुलावा मिलेगा।
Karnataka Politics: डीके शिवकुमार का दिल्ली दौरा
शिवकुमार ने बेंगलुरु में मीडिया से बात करते हुए बताया कि वह दिल्ली एक निजी शादी के कार्यक्रम में जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “14 दिसंबर को रामलीला मैदान में एक बड़ा कार्यक्रम होने वाला है, जिसमें ‘वोट चोरी’ के खिलाफ रैली आयोजित की जाएगी। मैंने कर्नाटक के जिला मंत्रियों और विधायकों से कहा है कि वे पार्टी कार्यकर्ताओं को इस कार्यक्रम में भेजने की व्यवस्था करें।” शिवकुमार ने यह भी कहा कि वह दिल्ली में 2-3 छोटी मीटिंग्स करेंगे और फिर जल्द ही बेंगलुरु वापस लौट आएंगे।
Karnataka Politics: शिवकुमार का महंगी घड़ी पर बयान, पार्टी में हलचल
डीके शिवकुमार के दिल्ली जाने से पहले, पार्टी कार्यकर्ताओं ने मंगलुरु एयरपोर्ट पर शिवकुमार और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नाम के नारे लगाए। इससे यह साफ हो गया कि कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद गहरे हो चुके हैं। इस पर शिवकुमार ने हल्के-फुल्के अंदाज में प्रतिक्रिया दी, कहकर कि इस तरह के नारे लगना कोई नई बात नहीं है। इसके अलावा, जब शिवकुमार से उनकी महंगी घड़ी के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि यह उनकी अपनी घड़ी है, जो उन्होंने 7 साल पहले ऑस्ट्रेलिया से खरीदी थी। उन्होंने कहा, “मैंने इस घड़ी के लिए 24 लाख रुपये अपने क्रेडिट कार्ड से दिए थे, आप चेक कर सकते हैं।” इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उनके पिता के पास 7 घड़ियां थीं, जो उनकी मृत्यु के बाद उनके पास आ गईं।
सिद्धारमैया की प्रतिक्रिया
वहीं, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने डीके शिवकुमार के दिल्ली जाने पर प्रतिक्रिया दी और कहा, “उन्हें जाने दो, लेकिन मैं तभी दिल्ली जाऊंगा जब पार्टी हाईकमान से मुझे बुलावा मिलेगा। अब तक मुझे कोई कॉल नहीं आई है।” सिद्धारमैया का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि वह फिलहाल अपने दिल्ली दौरे को लेकर कोई जल्दी नहीं दिखा रहे हैं। दरअसल, इस बयान के पीछे एक संकेत यह भी हो सकता है कि पार्टी के भीतर चल रहे सत्ता संघर्ष को लेकर वह खुद को बचाना चाहते हैं।
शिवकुमार की दिल्ली यात्रा पर अटकलें तेज
कांग्रेस पार्टी के भीतर कर्नाटक में पावर शेयरिंग को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। शिवकुमार की अचानक दिल्ली यात्रा ने इन चर्चाओं को और हवा दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच इस बात को लेकर असमंजस बना हुआ है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर किसका हक बनता है। कुछ वक्त पहले, शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच बातचीत में एकता और सहयोग का संदेश दिया गया था, लेकिन अब दोनों नेताओं के बीच बढ़ती असहमति और राजनीतिक हलचलें इस बात को स्पष्ट कर रही हैं कि कर्नाटक में कांग्रेस की आंतरिक राजनीति अब अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है।
आने वाले दिनों में क्या होगा कर्नाटक की राजनीति का भविष्य?
राज्य की राजनीति में इन बदलावों और घोषणाओं के बाद यह सवाल उठता है कि क्या पार्टी में बढ़ते मतभेदों को एकजुट किया जा सकेगा। कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के भीतर सत्ता संघर्ष और आरोप-प्रत्यारोप के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर निर्णय लेना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का इस मामले में कैसे हस्तक्षेप होगा, यह आने वाले दिनों में तय करेगा कि कर्नाटक की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ेगी।
