बांग्लादेश की यूनुस सरकार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा झटका दिया है, जब उन्होंने बांग्लादेश को मिलने वाली अमेरिकी सहायता का एक महत्वपूर्ण रास्ता बंद कर दिया। यह कदम एक बड़े राजनीतिक बदलाव और दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव की ओर इशारा करता है। इस निर्णय के पीछे अमेरिकी प्रशासन की चिंता है कि बांग्लादेश में जिस प्रकार की सरकार है, वह लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मानवाधिकारों की पूरी तरह से अनदेखी कर रही है।
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सामाजिक और आर्थिक सुधारों की मदद

अमेरिका, जो बांग्लादेश का एक प्रमुख मदददाता देश है, अब बांग्लादेश को मिलने वाली कई सहायता योजनाओं को प्रभावित कर सकता है। ट्रंप प्रशासन ने खासतौर पर उन विकास कार्यक्रमों को रोकने की बात की है, जिनमें बांग्लादेश के प्रमुख सामाजिक और आर्थिक सुधारों को मदद मिलती थी। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और आर्थिक विकास के लिए दी जाने वाली सहायता प्रमुख थी।
यह निर्णय इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि बांग्लादेश ने पिछले कुछ वर्षों में अपने आर्थिक विकास में बड़ी तेजी दिखाई है, लेकिन इसके बावजूद अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि बांग्लादेश सरकार में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और स्वतंत्रता को लेकर गंभीर खामियां हैं। खासकर, बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार पर विपक्षी नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने और मीडिया पर कड़ी निगरानी रखने का आरोप लगाया जाता है।

ट्रंप की रणनीति
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रशासन के दौरान दुनिया भर में अमेरिकी नीतियों को पुनः परिभाषित किया। उनके प्रशासन का यह फैसला स्पष्ट रूप से बांग्लादेश की सरकार को लोकतांत्रिक सुधारों को लेकर दबाव डालने के लिए लिया गया है। ट्रंप ने दुनिया भर में अमेरिका की विदेश नीति को पहले ‘अमेरिका फर्स्ट’ के सिद्धांत पर आधारित किया और कई मामलों में अपने सहयोगियों के साथ रिश्तों को फिर से परिभाषित किया। बांग्लादेश पर लगाए गए इस दबाव से यह भी साफ है कि अमेरिका अब किसी भी सरकार को यह बर्दाश्त नहीं करेगा, जो लोकतंत्र, स्वतंत्रता और मानवाधिकार के सिद्धांतों से समझौता करती हो।

बांग्लादेश का प्रतिक्रिया
बांग्लादेश सरकार ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले का विरोध किया है। शेख हसीना की सरकार ने कहा है कि बांग्लादेश ने हमेशा लोकतांत्रिक तरीके से काम किया है और किसी बाहरी ताकत द्वारा आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। बांग्लादेश का कहना है कि उन्होंने हमेशा क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए काम किया है और उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों को वैश्विक समुदाय ने सराहा है। इसके बावजूद, बांग्लादेश ने इस कदम को एक राजनीतिक दबाव के रूप में देखा है, जिसका उद्देश्य उनकी सरकार को कमजोर करना है।